बेंगलुरुः कर्नाटक के विजयपुरा जिले के होनवाडा गांव में किसानों की जमीन को लेकर एक बड़ा विवाद उभर कर सामने आया है। मामले ने तब तूल पकड़ लिया जब कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि होनवाडा गांव में 1,500 एकड़ जमीन वक्फ की संपत्ति है। किसानों को 4 अक्टूबर को तहसीलदार से एक नोटिस मिला, जिसमें बताया गया कि उनकी पुश्तैनी जमीन वक्फ बोर्ड के नाम पर की जा रही है। इस मामले पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है।
बीजेपी का आरोप: किसानों की जमीन हड़पने की साजिश
बीजेपी ने कर्नाटक के वक्फ मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसानों की जमीन वक्फ बोर्ड के नाम पर पंजीकृत की जाए। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने होनवाडा गांव का दौरा किया और किसानों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि किसानों को बिना किसी साक्ष्य के नोटिस दिए गए हैं, जिसमें उनकी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है।
बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी इस फैसले की कड़ी आलोचना की और कहा कि वक्फ कानून के मौजूदा प्रावधानों से गरीब मुसलमानों को भी नुकसान हो रहा है। विजयपुरा से बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने इसे तानाशाही कदम बताते हुए कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
कांग्रेस का जवाब: किसानों की जमीन नहीं जाएगी वक्फ बोर्ड के पास
बीजेपी के आरोपों के बाद, कांग्रेस ने भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट की है। वक्फ मंत्री जमीर अहमद खान ने कहा कि यदि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है, तभी नोटिस जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम किसानों की जमीन नहीं छीन सकते। यदि किसी की संपत्ति पर अतिक्रमण होता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई होगी।”
कर्नाटक के कैबिनेट मंत्री एमबी पाटिल ने भी किसानों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी जमीन वक्फ बोर्ड के पास नहीं जाएगी, बशर्ते उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज हों। पाटिल ने स्पष्ट किया कि 1974 के गजट में हुई एक गलती के कारण यह विवाद खड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि केवल 11 एकड़ जमीन वक्फ की संपत्ति है, जिसमें एक कब्रिस्तान और एक ईदगाह शामिल हैं।
1974 के गजट में गलती के कारण फैला भ्रम!
कर्नाटक सरकार के अनुसार, 1974 के एक गजट नोटिफिकेशन में गलती से “होनवाडा” का नाम वक्फ संपत्ति में जोड़ दिया गया था। पाटिल ने बताया कि इस गलती को 1977 में ठीक कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस विवाद के कारण किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है और जो भूमि वक्फ के मानदंडों को पूरा करती है, केवल वही वक्फ संपत्ति मानी जाएगी।
एमबी पाटिल की बातों के काउंटर में तेजस्वी सूर्या ने ट्विटर पर इससे जुड़े दस्तावेज शेयर किए। उन्होंने पाटिल को टैग करते हुए कहा कि उनकी प्रेस वार्ता देखी, जिसमें उन्होंने कहा कि किसानों की एक इंच भी जमीन वक्फ भूमि के रूप में पंजीकृत नहीं है। लेकिन यहां किसानों द्वारा मेरे पास प्रस्तुत राजस्व रिकॉर्ड हैं, जो म्यूटेशन रजिस्टर और आरटीसी में परिवर्तन को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। ये रिकॉर्ड 19.10.2024 के हैं। इसमें यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि उक्त परिवर्तन डीसी के निर्देशों के अनुसार किए गए हैं। स्पष्ट रूप से, राजस्व अधिकारी श्री ज़मीर अहमद की बात सुन रहे हैं, न कि श्री पाटिल की।
I just saw Minister Sri @MBPatil Ji’s press meet where he said that not even ‘one inch’ of farmer’s land is registered as Waqf land.
But here are revenue records submitted to me by the farmers which clearly indicate the change in the Mutation Register and RTC. The records are… pic.twitter.com/c4nIocD7rl
— Tejasvi Surya (@Tejasvi_Surya) October 26, 2024
बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासी संघर्ष
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कांग्रेस पर किसानों की उपेक्षा करने और वक्फ बोर्ड के दावों का समर्थन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की “तुष्टीकरण नीति” के कारण किसानों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है।
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असमंजस में किसान
मामले के बढ़ते विवाद के बीच, किसानों की स्थिति बेहद असमंजस में है। पाटिल ने किसानों से अपने सभी दस्तावेज लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय आने का आग्रह किया है ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। राज्य सरकार ने मामले की समीक्षा के आदेश दिए हैं और पुराने रिकॉर्ड के आधार पर निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए एक किसान नेता ने कहा कि यहां के किसानों को अपने पूर्वजों से 1,500 एकड़ जमीन विरासत में मिली है। वे इस पर खेती कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अगर यह जमीन वक्फ में चली गई तो हम सड़क पर आ जाएंगे। इसलिए सरकार से अनुरोध है कि वक्फ के दावों को खारिज कर हमें न्याय दिलाए। अगर केंद्र और कर्नाटक सरकार ने जल्द ही इस पर संज्ञान नहीं लिया तो यह जमीन वक्फ में चली जाएगी।
वक्फ बोर्ड पर अक्सर मनमाने तरीके से दूसरों की संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित करने का आरोप लगता रहता है। वक्फ अधिनियम 1995 के अनुसार, राज्य वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता है और यदि उसका मालिक यह साबित करने में विफल रहता है कि संपत्ति उसकी है तो वह संपत्ति वक्फ बोर्ड की हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पहले सिर्फ नोटिस भेजकर बोर्ड को जमीन पर अधिकार मिल जाता था। लेकिन मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सिर्फ नोटिस जारी करना किसी संपत्ति को वक्फ करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके लिए वैधानिक प्रक्रिया पूरी करना जरूरी है, जिसमें दो सर्वेक्षण, विवादों का निपटारा और राज्य सरकार और वक्फ को रिपोर्ट सौंपना शामिल है।
समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ