Homeभारतकर्नाटक के सरकारी ठेकों में 4% मुस्लिम आरक्षण से जुड़ा क्या है...

कर्नाटक के सरकारी ठेकों में 4% मुस्लिम आरक्षण से जुड़ा क्या है विवाद? CMO ने क्या कहा?

बेंगलुरुः कर्नाटक में आरक्षण को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। खबर है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कर्नाटक सरकार सार्वजनिक निर्माण कार्यों (सिविल ठेके) में मुस्लिम समुदाय को 4 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इस प्रस्ताव के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के श्रेणी 2बी के लोगों को सरकारी ठेके में 4 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) को भी आरक्षण देने का विचार कर रही है।

कर्नाटक में आरक्षण का नया समीकरण

न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राज्य सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इसके लिए विधेयक पेश कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्ताव के लागू होने से कर्नाटक में सरकारी ठेकों में कुल आरक्षण 47 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, और ठेके की सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया जा सकता है।

वर्तमान में, राज्य में सरकारी ठेके के लिए 43 प्रतिशत आरक्षण लागू है, जिसमें ओबीसी की श्रेणी-1 (4 प्रतिशत) और श्रेणी-2A (15 प्रतिशत) को आरक्षण मिलता है। अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो मुस्लिमों को भी आरक्षण मिलेगा, जिससे कुल आरक्षण 47 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

भाजपा ने बताया संविधान का उल्लंघन 

लेकिन, कर्नाटक सरकार का यह प्रस्ताव भाजपा के लिए एक विवादित मुद्दा बन गया है। भाजपा नेता आर. अशोक ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति में कांग्रेस सभी सीमाओं को पार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ की जमीन को हड़पने के प्रयासों को बढ़ावा देने के बाद, अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण देने की योजना बना रही है। अशोक ने कहा कि अगर ऐसा चलता रहा तो कर्नाटक जल्द ही एक इस्लामिक राज्य में बदल जाएगा, और यहां हिंदू नागरिक दोयम दर्जे का जीवन जीने पर मजबूर हो जाएंगे।

भाजपा नेता अमित मालवीया ने भी सिद्धारमैया सरकार पर कड़ा हमला करते हुए इसे संविधान का उल्लंघन बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाता है, तो इसका असर एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के आरक्षण पर पड़ेगा।

मालवीया ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “अगर कर्नाटक में मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाता है, तो इसका असर उन वर्गों पर पड़ेगा जिन्हें पहले से आरक्षण मिल रहा है। तेलंगाना में भी मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जो पिछड़े वर्गों के आरक्षण का हिस्सा कम कर रहा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने मुस्लिम वोटों के लिए जिन्ना जैसे मांगों को स्वीकार किया है। यह सब कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक के लिए किया जा रहा है, जो संविधान का घोर उल्लंघन है।”

इससे पहले, कर्नाटक सरकार ने अप्रैल में राज्य के सभी मुस्लिम समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल करने का फैसला लिया था, ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण मिल सके। वहीं अप्रैल में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने कहा था कि राज्य के सभी मुस्लिम समुदायों को श्रेणी 2बी में ओबीसी के रूप में माना गया है। वहीं, राज्य के पिछड़े और दलित मुस्लिम समुदायों ने उच्च जाति मुस्लिमों द्वारा कम जाति मुस्लिमों के साथ भेदभाव की समस्या को उठाया है, जो कि एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है।

सीएम कार्यालय ने क्या कहा?

कर्नाटक सरकार के इस प्रस्ताव पर बढ़ते विवाद के बीच मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “यह सही है कि मुस्लिमों को सरकारी ठेकों में आरक्षण देने की मांग की गई है, लेकिन इस समय सरकार के पास इस संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं है।”

हालांकि, इस प्रस्ताव के राजनीतिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कर्नाटक में मुस्लिम राजनीति और आरक्षण का मुद्दा एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है, और इसके व्यापक राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं। कर्नाटक सरकार की तरफ से इस प्रस्ताव के बारे में किए गए बयान और इसके खिलाफ विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत हैं कि यह मुद्दा आगामी समय में और भी अधिक गर्मा सकता है।

अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा
Exit mobile version