नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) के विकास को मंजूरी दी। इस निर्णय को प्रधानमंत्री ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा कि यह परियोजना देश की सभ्यता के इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और संस्कृति एवं पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसरों का निर्माण करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोथल में इस राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के विकास को “दिलचस्प” बताते हुए कहा, “भारत संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्रों में अधिक भागीदारी का आह्वान करता है।” उन्होंने यह भी बताया कि लोथल, जो अहमदाबाद के पास स्थित है, दुनिया का सबसे पुराना डॉकयार्ड है और एक समय में यह सभ्यताओं, विचारों और व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
उनके अनुसार, यहां की खुदाई से लोथल के समुद्री केंद्र के महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं, जो हमारे पूर्वजों की सृजनात्मकता और तकनीकी क्षमता को दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि, “आजादी के बाद के दशकों में हमने अपने इतिहास के कई पहलुओं को नजरअंदाज किया, लेकिन पिछले दस वर्षों में इस ट्रेंड में बदलाव आया है।”
Recently, the Union Cabinet took a very interesting decision – of developing a National Maritime Heritage Complex in Lothal. Such a concept will create new opportunities in the world of culture and tourism. India invites more participation in the culture and tourism sectors. Here…
— Narendra Modi (@narendramodi) October 15, 2024
उन्होंने आगे कहा, “हमारी सरकार ने एक जीवंत राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर बनाने का निर्णय लिया है, जो इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के बीच उत्साह जगाएगा। इस परिसर में 77 मीटर ऊँचा लाइटहाउस म्यूजियम होगा, जो दुनिया का सबसे ऊँचा म्यूजियम होगा। विभिन्न इमर्सिव गैलरी इस अनुभव को और भी रोचक बनाएंगी।”
पीएम मोदी ने इस प्रकार के प्रयास को पर्यटन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला बताया, जो भारत में विकास का एक प्रमुख चालक है। उन्होंने पेशेवरों से आग्रह किया कि वे पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसरों की खोज करें और अपने विचार साझा करें, जिससे हम एक मजबूत अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकें और अपने समृद्ध अतीत को संरक्षित रख सकें।
समुद्री धरोहर परिसर
समुद्री धरोहर परिसर, गुजरात के लुथल में स्थित एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास को प्रदर्शित करता है। लुथल, जो प्राचीन सभ्यता की धरोहर है, को लगभग 2400 ईसा पूर्व का एक प्राचीन डॉकयार्ड होने के लिए जाना जाता है। इस परिसर में एक संग्रहालय होगा, जिसमें समुद्री व्यापार, नौवहन तकनीकों, और विश्व के विभिन्न हिस्सों से जुड़े व्यापार मार्गों से संबंधित कलाकृतियाँ और प्रदर्शनी दिखाई जाएंगी।
परिसर में आगंतुकों के लिए इंटरैक्टिव अनुभव, वर्चुअल रियलिटी सेटअप, कार्यशालाएँ और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिससे वे भारत की समुद्री परंपराओं में गहराई से डूब सकें। यह परिसर आधुनिक वास्तुकला के तत्वों के साथ पारंपरिक समुद्री थीम को जोड़ता है और इसे स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत सरकार की पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल के तहत, समुद्री धरोहर परिसर शिक्षा, पर्यटन और सांस्कृतिक विनिमय का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। यह भारत के समुद्री इतिहास की धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ