काठमांडू: भारत के साथ सीमा को लेकर विवाद के बीच चीन की मनमानी अब नेपाल पर नजर आने लगी है। नेपाल के हुम्ला जिले के कई नागरिक आरोप लगा रहे हैं कि चीन ने कई जगहों पर उनके क्षेत्र में अतिक्रमण कर लिया है। नेपाल का यह जिला चीन के कब्जे वाले तिब्बत क्षेत्र से लगता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार हुम्ला जिले के नागरिकों का यह भी कहना है कि चीनी सुरक्षा बल तिब्बती नेपालियों तक को सीमा के पास के गांवों में निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की तस्वीरें नहीं लगाने के लिए दबाव डाल रहे हैं। इन सबके बीच नेपाल सरकार चुप्पी साधे हुए हैं।
बाड़ निर्माण के बहाने नेपाल के क्षेत्रों पर अतिक्रमण और निगरानी
चीन ने सुदूर हिमालय के क्षेत्रों पर तिब्बत और नेपाल को विभाजित करने वाली सीमा पर कंटीले तार और कंक्रीट की संरचनाएं भी तैयार कर ली है। इस क्षेत्र में अब चीनी सुरक्षा कैमरे और सैनिक टावरों से लगातार निगरानी बनाए रखते हैं। तिब्बती पठार पर एक 600 फुट लंबा संदेश- ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अमर रहे’ भी उकेरा गया है। यह इतना विशाल है कि अंतरिक्ष से भी नजर आता है।
रिपोर्ट के अनुसार बड़ी संख्या में चीनी बाड़ों और एक तरह की ‘किलेबंदी’ के कारण यहां समुदायों के बीच अलगाव भी बढ़ा है। चीनी दमन से परेशान होकर अक्सर भागकर नेपाल आने वाले हजारों तिब्बती भी उस पार चीन के बंधक बनकर रह गए हैं।
नेपाल क्यों है चीन की मनमानी पर मौन?
इन तमाम मुद्दों के बावजूद सबसे हैरान करने वाला रवैया नेपाल सरकार का है। नेपाल के नेता अपने देश में चीन के बढ़ते प्रभाव को जानते हुए भी अनजान बने बैठे हैं। इसके पीछे की एक वजह नेपाल की कुछ वैचारिक और आर्थिक रूप से चीन से नजदीकी हो सकती है। यही वजह है कि संभवत: नेपाली सरकारों ने लगातार 2022 की एक रिपोर्ट को नजरअंदाज किया है जिसमें हुम्ला में चीन की ओर से विभिन्न जगहों पर सीमा उल्लंघन की बात कही गई थी।
वहीं, क्षेत्र के पूर्व प्रांतीय मुख्यमंत्री जीवन बहादुर शाही ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, ‘यह चीन की नई दीवार है। लेकिन वे नहीं चाहते कि हम इसे देखें।’
हिंदू और बौद्ध मंदिर पर भी चीन लगा रहा प्रतिबंध
कई रिपोर्टों से ये भी संकेत मिलते हैं कि चीन इन इलाकों में नेपाली किसानों को जानवरों को चराने से रोकता है। चीन के बढ़ते दखल से न केवल नेपाली किसान प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि चीन ने सीमाई क्षेत्र में ‘हिंदू और बौद्ध मंदिरों’ पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे कदम न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि नेपाल में रहने वाले लगभग 20 हजार तिब्बती शरणार्थियों को भी प्रभावित कर रहे है, जो नेपाल का इस्तेमाल भारत और उससे आगे भागने के लिए करते थे।
हाल के वर्षों में, चीन ने इस पलायन वाले मार्ग पर अवरोध डालने की कोशिश की है। पिछले दो वर्षों में नेपाल में चीनी अतिक्रमण की कई रिपोर्टें सामने आई हैं, जिसे लेकर नेपाल की राजधानी काठमांडू में भी छिटपुट विरोध प्रदर्शन हुए हैं।