तिरुवनंतपुरम: केरल के मुख्यमंत्री और मार्क्सवादी नेता पिनाराई विजयन ने वायनाड लोकसभा उपचुनाव से पहले कांग्रेस पर हमला तेज कर दिया है। सीएम विजयन ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से वायनाड लोकसभा उपचुनाव लड़ रही हैं।
वायनाड में 13 नवंबर को चुनाव है। सवाल है कि वायनाड के चुनाव में जमात-ए-इस्लामी का जिक्र कर केरल के मुख्यमंत्री क्या हासिल करना चाहते हैं और वायनाड में मुस्लिम वोट कितना बड़ा फैक्टर है? इसे समझने की कोशिश करते हैं, लेकिन इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री ने क्या कहा इसे जान लेते हैं।
पिनाराई विजयन का कांग्रेस पर हमला
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दावा किया कि वायनाड के उपचुनाव ने ‘कांग्रेस पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मुखौटे को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।’
विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘प्रियंका गांधी जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से वहां से चुनाव लड़ रही हैं। तो, वास्तव में कांग्रेस का रुख क्या है? हमारा देश जमात-ए-इस्लामी से अपरिचित नहीं है। क्या उस संगठन की विचारधारा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मेल खाती है?’
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जमात-ए-इस्लामी राष्ट्र या उसके लोकतंत्र को महत्व नहीं देता है और देश की शासन संरचना की भी उपेक्षा करता है। विजयन ने कहा कि यह संगठन ‘वेलफेयर पार्टी’ के माध्यम से राजनीतिक भागीदारी की आड़ में काम कर रहा था, और उसका यह मुखौटा जम्मू और कश्मीर में स्पष्ट नजर आया।
उन्होंने कहा कि वायनाड में जमात-ए-इस्लामी का दावा है कि वे कश्मीर के जमात-ए-इस्लामी से अलग हैं। उन्होंने कहा, ‘हालांकि, विचारधारा वही है – जो किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक शासन को स्वीकार नहीं करती है। इस बार वे कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ का समर्थन करना चाहते हैं।’
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए विजयन ने पूछा, ‘क्या जो लोग धर्मनिरपेक्षता के लिए खड़े हैं, उन्हें सभी प्रकार के संप्रदायवाद का विरोध नहीं करना चाहिए? क्या कांग्रेस ऐसा कर सकती है? ऐसा लगता है कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग सहित अन्य सहयोगी दल जमात-ए-इस्लामी के साथ अपना गठबंधन बनाए रखने के लिए कुछ ‘त्याग’ कर रहे हैं। क्या कांग्रेस जमात-ए-इस्लामी के वोटों को अस्वीकार कर सकती है?’
जमात-ए-इस्लामी हिंद का जवाब
विजयन की टिप्पणी पर जमात-ए-इस्लामी हिंद के केरल अध्यक्ष पी मुजीब रहमान का जवाब भी आया है। उन्होंने सीएम से पूछा, ‘यह बताएं कि उन्होंने संगठन (जमात-ए-इस्लामी के प्रति अपना दृष्टिकोण क्यों और कब बदला। हाल के लोकसभा चुनावों में, जमात ने तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में सीपीआई (एम) का समर्थन किया था। सीपीआई (एम) ने हमारा समर्थन क्यों नहीं ठुकराया?’
उन्होंने आगे कहा, ‘केरल में हम 2004 से सभी चुनावों में सीपीआई (एम) का समर्थन कर रहे हैं। 2020 तक, सीपीआई (एम) ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के समर्थन से कई स्थानीय निकायों पर शासन किया।’
रहमान ने कहा, ‘इससे केवल संघ परिवार को मदद मिलेगी। 2019 के लोकसभा चुनावों में हमने कांग्रेस का समर्थन करने का फैसला किया क्योंकि यह भाजपा विरोधी ताकत के रूप में उभरने के लिए सबसे बड़ी पार्टी है।’
वायनाड सीट के बारे में
केरल में वायनाड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का गठन 2008 में परिसीमन के बाद किया गया था। इसमें तीन जिलों के सात विधानसभा क्षेत्र हैं। वायनाड जिले के मनन्थावडी, सुल्तान बाथरी और कलपेट्टा विधानसभा क्षेत्र, मलप्पुरम जिले में एरानाड, नीलांबुर और वंडूर और कोझिकोड जिले की तिरुवंबडी सीट शामिल हैं। मनन्थावडी और सुल्तान बथेरी अनुसूचित जनजाति (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र हैं जबकि वंडूर एक अनुसूचित जाति (एससी) निर्वाचन क्षेत्र है।
वायनाड का जातीय समीकरण
वायनाड केरल का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है। वायनाड दरअसल 1 नवंबर 1980 को कन्नूर और कोझिकोड से अलग होकर एक अलग जिला बनाया गया था। 2011 की जनगणना के बाद 40% वन भूमि और केरल की 31% आदिवासी आबादी के साथ वायनाड की कुल जनसंख्या 8,17,420 है। यहां एसटी समुदाय जिले की आबादी का 18% है जबकि एससी लगभग 4% है। विभिन्न धर्मों की बात करें तो वायनाड जिले में हिंदुओं की आबादी कुल आबादी का 49% है। मुस्लिम और ईसाई क्रमशः 29% और 21% हैं।
हालांकि यह पूरी तस्वीर नहीं है। मलप्पुरम जिले में पड़ने वाले तीन विधानसभा क्षेत्र जो वायनाड संसदीय सीट में आते हैं, वहां अल्पसंख्यक आबादी का वर्चस्व है। जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार, मलप्पुरम की कुल आबादी में 70% मुस्लिम समुदाय से हैं। एक वायनाड विधानसभा क्षेत्र वाले कोझिकोड जिले में 56% हिंदू और 39% मुस्लिम हैं।
2011 के आंकड़ों को देखें तो वायनाड जिले के बाहर पड़ने वाले चार विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी का वर्चस्व इस सीट को अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में बदल देता है। तीनों जिलों में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर देखें तो वायनाड संसदीय सीट की कुल जनसंख्या में लगभग 48 प्रतिशत मुस्लिम हैं। हिंदुओं की आबादी 41 प्रतिशत है। ईसाई करीब 11 प्रतिशत हैं।
वायनाड लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। सीट के वजूद में आने के बाद 2009 से कांग्रेस ही यहां जीतती आई है। 2009 से 2019 तक इस सीट से कांग्रेस के एमआई शानवास सांसद रहे. इसके बाद 2019 और फिर इसी साल 2024 में राहुल गांधी ने यहां से जीत दर्ज की थी। बाद में उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया और रायबरेली को बरकरार रखा है।