जब मोदी विरोधी सारे योद्धा जुबानी जंग करके थक गए तो अब किसानों का नेता बनने का दावा करने वाले राकेश टिकैत सामने आए हैं। मसला बांग्लादेश में हुए तख्तापलट का है। तख्तापलट बांग्लादेश में हुआ लेकिन भारत में कइयों की बांछें खिल गई थीं। अब ताजा बाछें राकेश टिकैत की खिली हैं। टिकैट को लग रहा है कि भारत में भी बांग्लादेश हो सकता है। बल्कि तीन साल पहले 26 जनवरी को ही हो गया होता।
दरअसल बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उससे भारत में सत्ता की आस में बैठे तमाम बीजेपी-आरएसएस विरोधियों को लग रहा था कि जब बांग्लादेश में शेख हसीना को प्रधानमंत्री आवास से भगाया जा सकता है तो नरेंद्र मोदी को क्यों नहीं हटाया जा सकता। उन्हें लग रहा था कि जब प्रधानमंत्री आवास में घुसकर हुड़दंगी और उपद्रवी तोड़फोड़ कर सकते हैं, जब ढाका की सड़कों पर अभद्रता का नंगा नाच हो सकता है तो ये सब हिंदुस्तान में क्यों नहीं हो सकता है।
क्यों नहीं भारत में भी प्रधानमंत्री आवास में विरोध और आक्रोश के नाम पर लोग घुस सकते हैं। कितनी खतरनाक सोच है। लेकिन टिकैत लगता है कि ये भूल गए हैं कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि इतना बड़ा देश, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कभी बांग्लादेश नहीं बन सकता। टिकैत को अगर ना समझ आ रहा हो तो कांग्रेस के किसी नेता से भी पूछ लेते। वो बता देगा कि लोकतंत्र का गला घोंटने वाले का ये देश कैसा हश्र करता है। देखें ये विश्लेषण-
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