अल जजीरा के भारत विरोधी प्रोपेगेंडा में कौन-कौन चेहरे शामिल हैं?

अल जज़ीरा न सिर्फ भारत विरोधी खबरें प्रसारित करता है या भारत विरोधी लोगों को अपने यहां प्लैटफॉर्म देता है बल्कि पत्रकारिता के नाम पर ऐसा कंटेट तैयार करता है जिससे भारत के दूसरे देशों के साथ संबंध तक खराब हो सकते हैं।

Which faces are included in Al Jazeera's anti-India propaganda?

Which faces are included in Al Jazeera's anti-India propaganda?

इस्लामिक देश कतर से प्रसारित होने वाला न्यूज चैनल अल जजीरा लगातार भारत विरोधी कैंपेन चला रहा है। 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने अल जजीरा को भारत में प्रसारण की अनुमति दी थी। पिछले 14 सालों से ये चैनल लगातार भारत विरोधी खबरें चलाता है और ये साबित करने की कोशिश करता है कि कैसे हमारे देश में आम लोगों को दबाया जा रहा है, उनके अधिकारों को छीना जा रहा है। देश की छवि को मुसलमान विरोधी बनाया जा रहा है।

सीएए के विरोध का मसला हो या फिर राम मंदिर के उद्घाटन का हो, चाहे जम्मू-कश्मीर का हो अल जजीरा हमेशा भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहता है। कतर में लोकतंत्र नहीं है। वहां राजशाही है। लेकिन उसे और अलजजीरा को भारत के लोकतंत्र से दिक्कत है। भारत विरोधी जितने भी आइडियोलॉग हैं, लेखक हैं, कलाकार हैं, कथित पत्रकार हैं—सब के सब अल जजीरा के मंच से भारत को गालियां देते रहते हैं। एटी इंडिया कैंपेन चलाते रहते हैं लेकिन सरकार चुप है। अरुंधती रॉय से लेकर राना अयूब तक और अपूर्वानंद से लेकर आरफाखानम शेरवानी तक हर कोई अल जजीरा में बैठकर भारत के खिलाफ जहर उलगता हुआ मिल जायेगा।

इस्लामिक देश के कट्टर इस्लामिक चैनल पर बैठ कर भारत को सेक्युलरिज्म का सबक सिखाता हुआ दिखाई देगा। एक पूरी एंटी इंडिया ब्रिगेड है जो अल जजीरा के टुकडों पर पलती है। कुछ को नाम मिलता है कुछ को दाम की भूख है। कुछ को नाम और दाम दोनों मिलता है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत को कश्मीर में शामिल करवाने और फिर भारत को कश्मीर में बनाये रखने के लिए लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी है। कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध लड़े जा चुके हैं। भारत हर साल कश्मीर की सुरक्षा और विकास के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च करता है। अगस्त 2019 में धारा 370 हटाने के बाद 28 महीनों के अंदर सरकार ने वहां 9 हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए। लेकिन अरुंधती जैसों को लगता है कि भारत ने कश्मीर में अवैध कब्जा कर रखा है जबकि इतिहास चीख-चीख कर गवाही देता है कि जम्मू और कश्मीर आज से नहीं जमाने से भारत का अभिन्न हिस्सा है।

बात चाहे भारत देश की हो, भारत के लोकतंत्र की हो, लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये भारत सरकार की हो, कश्मीर की हो या फिर उत्तर पूर्व की हो, प्रधानमंत्री मोदी की हो --अल जजीरा जहर उलगने का कोई मौका नहीं छोड़ता। अल जज़ीरा में प्रकाशित ये खबर उस वक्त की है जब प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया था। करोड़ों हिदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए अल जजीरा ने राम मंदिर को ही विवादास्पद बता दिया। यहां यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत की सर्वोच्च अदालत द्वारा दिये गये फैसले के बाद हुआ था।

साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सदियों से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया था लेकिन अल जज़ीरा ने राम मंदिर को विवादास्पद बताकर एक साथ तीन शिकार किए

1. भारत की छवि खराब की

2. राम मंदिर को विवादस्पद बताया

3. पीएम मोदी की छवि धूमिल करने की कोशिश की

अल जज़ीरा न सिर्फ भारत विरोधी खबरें प्रसारित करता है या भारत विरोधी लोगों को अपने यहां प्लैटफॉर्म देता है बल्कि पत्रकारिता के नाम पर ऐसा कंटेट तैयार करता है जिससे भारत के दूसरे देशों के साथ संबंध तक खराब हो सकते हैं। दुनिया की निगाह में भारत की छवि को जितना नुकसान अल जज़ीरा ने पहुंचाया है उतना तो शायद पाकिस्तान ने नहीं किया होगा। सवाल यह है कि आखिर क्या वजह है कि कतर से बेहतर संबंध होने के बावजूद कतरी शेखों के पैसों से चलने वाला अल जजीरा भारत की इमेज को धवस्त करने पर तुला रहता है। भारत से, भारत के चुने हुए प्रधानमंत्री से, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से और दुनिया की सबसे पड़ी पॉलिटिकल पार्टी से अल जजीरा को दिक्कत क्या है? क्या अल जजीरा वाकई भारत में लोकतंत्र की स्थिति, मानवाधिकार के प्रति चिंतित है या फिर खबरों की आड़ में, पत्रकारिता की आड़ में उसका कोई और एजेंडा है। ऐसा एजेंडा जिसका एक सिरा आतंकवाद से तालिबान से भी जुड़ता है। ये सारे सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब भारत के लोगों को जानने ही चाहिए और सरकार को अलजजीरा के भड़काऊ और विभाजनकारी प्रसारण पर रोक लगानी चाहिए..देखिए ये विश्लेषण

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article