पूर्व पहलवान और ध्यानचंद अवॉर्ड विजेता मनोज कुमार से खास बातचीत

100 ग्राम का वजन कितना महत्वपूर्ण होता है, क्या विनेश के पास कोई और विकल्प था और पेरिस ओलंपिक के फाइनल तक पहुंचने में उन्होंने कितना एड़ी चोटी का जोर लगाया होगा, इन सब सवालों के जवाब आपको इस पॉडकास्ट में एक पूर्व पहलवान की ही जुबानी सुनने को मिलेंगे।

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Special conversation with former wrestler and Dhyan Chand Award winner Manoj Kumar

पूर्व पहलवान और ध्यानचंद अवॉर्ड विजेता मनोज कुमार से खास बातचीत (फोटो-बोले भारत)

100 ग्राम ज्यादा वजन के नीचे विनेश फोगाट के साथ करोड़ों भारतीयों के सपने भी दब कर टूट गए। विनेश पहली भारतीय महिला पहलवान थीं जो ओलंपिक के फाइनल में पहुंची थीं। लेकिन 50 किलो से 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से उन्हें डिस्कवालिफाई कर दिया गया।

पूर्व रेसलर और ध्यानचंद अवॉर्ड विजेता मनोज कुमार का कहना है कि 100 ग्राम क्या एक ग्राम वजन ज्यादा होने पर भी विनेश बाहर हो जातीं क्योंकि ओलंपिक के नियम बड़े सख्त होते हैं।

विनेश का अपने सामान्य वजन से नीचे जाकर 50 किलो की श्रेणी में खेलने के फैसले ने उन्हें फाइनल में जरुर नुकसान पहुंचाया लेकिन अगर वो इस श्रेणी में नहीं जातीं तो उन्हें ओलंपिक में हिस्सा लेने का मौका ही नहीं मिल पाता।

100 ग्राम का वजन कितना महत्वपूर्ण होता है, क्या विनेश के पास कोई और विकल्प था और पेरिस ओलंपिक के फाइनल तक पहुंचने में उन्होंने कितना एड़ी चोटी का जोर लगाया होगा, इन सब सवालों के जवाब आपको इस पॉडकास्ट में एक पूर्व रेसल की ही जुबानी सुनने को मिलेंगे।

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