मुंबई: महाराष्ट्र में विधान परिषद के सदस्यों के लिए यानी एमएलसी के चुनाव हुए। उसमें एनडीए ने 11 में 9 सीटें जीत ली। इनमें बीजेपी के पांच, शिंदे गुट वाली शिवसेना और अजीत पवार वाली एनसीपी के 2-2 उम्मीदवार जीत गए।
इंडिया ब्लॉक ने तीन प्रत्याशी खड़े किए थे लेकिन उसके दो ही उम्मीदवार जीत पाए। एक उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना के उम्मीदवार और एक कांग्रेस के। जबकि शरद पवार के समर्थन वाले जयंत पाटिल हार गए। कांग्रेस क्यों तीन सीटें जीतने की उम्मीद कर रही थी लेकिन दो ही जीत पाई।
इसका उत्तर है क्रॉस वोटिंग। आपको ताज्जुब होगा कि लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 11 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस एमएलसी चुनाव में एक बार फिर से क्रॉस वोटिंग का शिकार हुई है। ये माना जा रहा है कि कांग्रेस के सात से आठ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। विधान परिषद चुनाव के लिए एक उम्मीदवार को 23 विधायकों के वोट चाहिए थे।
विधायक की सूची देखिए तो बीजेपी के पास 103, शिंदे वाली शिवसेना के पास 38, अजीत पवार वाली एनसीपी के पास 42, कांग्रेस के पास 37, उद्धव वाली शिवसेना के पास 15 और पवार वाली एनसीपी के पास 10 विधायक थे। अब एनडीए के पास कुल 183 विधायक हुए यानी 23 के हिसाब से 7 एमएलसी तो उसके हो जाते जिनके लिए 161 वोटों की जरूरत थी।
उसके बाद 22 विधायक बच रहे थे यानी एक विधायक का इंतजाम कर लेने पर वो आठ सीटें जीत लेती लेकिन जीत गई 9 यानी कि कम से कम 24 अतिरिक्त वोटों का इंतजाम उसने कर लिया। अब इंडिया ब्लॉक की तस्वीर को समझिए। इंडिया ब्लॉक के पास कुल 62 विधायक हैं।
23 के हिसाब से दो एमएलसी तो इनके पक्के थे यानी 46 विधायकों पर दो एमएलसी हो जाते। हुए भी। इसके बाद इनके पास 16 विधायक बचे थे। लोकसभा चुनाव में राज्य में अच्छे प्रदर्शन से अति उत्साहित इंडिया ब्लॉक के नेताओं को लगता कि 16 अतिरिक्त वोट उनको एक और एमएलसी दिलवा सकता है बशर्ते वो आठ वोटों का जुगाड़ कर लें।
इसीलिए एक अतिरिक्त उम्मीदवार इंडिया ब्लॉक ने उतार दिया। अब आठ वोटों का जुगाड़ करने की जगह खबर है कि कांग्रेस ने अपने ही आठ वोट गंवा दिए। यानी कांग्रेस के कई विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी।
एमएलसी चुनावों में बहुत आसानी से अपने नौ के नौ उम्मीदवारों को जीत दिलाकर एनडीए यानी महाराष्ट्र की महायुति ने मनोवैज्ञानिक बढ़त तो बना ही ली है। ये नतीजे उस वक्त आए हैं जब गृह मंत्री अमित शाह विधानसभा चुनावों की तैयारियों के लिए महाराष्ट्र पर फोकस किए हुए हैं।
पुणे में वो पार्टी के तमाम बड़े पदाधिकारियों को संबोधित करने वाले हैं। फिलहाल एनडीए को लगता है कि उसने महाविकास अघाड़ी या इंडिया ब्लॉक या कांग्रेस के विधायकों में जो सेंध लगाई है, वो आने वाले दिनों में वोट बैंक में भी सेंध लगाने का कारण बन सकता है।
दूसरी तरफ महा विकास अघाड़ी को अब वाकई इस पर चिंतन करने की जरूरत है कि आखिर क्यों वो अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाती और किसी भी चुनाव से पहले ठोस और टिकाऊ रणनीति बना पाती। क्योंकि बेहतर रणनीति का रास्ता ही सत्ता की राजनीति की मंजिल तक पहुंचता है।