क्या अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडे को उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाकर ब्राह्मण कार्ड चल दिया है। क्या पीडीए यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वाली राजनीति को अखिलेश ने विस्तार देने के लिए एक ब्राह्मण नेता को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया है।
या फिर पिछड़ों दलितों के साथ उनका धोखा है, जैसा आरोप राज्य के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लगा रहे हैं। 2027 से पहले 2024 में ही विधानसभा की दस सीटों पर उप चुनाव होने वाले हैं।
इन उपचुनावों में विजय दोहराने की चुनौती है क्योंकि लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जैसा झटका यूपी में लगा, उस पर बहुत तो नहीं लेकिन कुछ हद तक मरहम लगाने का काम उपचुनाव के नतीजे कर सकते हैं। क्या पीडीए के बाद ब्राह्मण चेहरे पर अखिलेश यादव का दांव इन उपचुनावों में भी समाजवादी पार्टी की पौ बारह करा देगी।
क्या जिन ब्राह्मणों को बीजेपी का परंपरागत वोट माना जा रहा था, वो समाजवादी पार्टी की तरफ झुकेगा। जिस पीडीए की दुहाई देकर समाजवादी पार्टी को यूपी में इस लोकसभा चुनाव में शानदार जीत मिली, क्या उस पीडीए में आने वाले तबकों को ऐसा तो नहीं लगेगा कि उनके साथ धोखा हुआ है जैसा केशव प्रसाद मौर्य बता रहे हैं।
इन सवालों का जवाब तलाशने से पहले ये जानना जरूरी है कि अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडे को विधानसभा में विपक्ष का नेता क्यों बनाया। बोले भारत के इस वीडियो में हम आपको बतायेंगे कि माता प्रसाद पांडे को विपक्ष का नेता बनाकर कैसे अखिलेश यादव ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।