ये संसद है मी लॉर्ड, जरा गरिमा का ख्याल रखें!

बोले भारत के इस वीडियो में इस पर विश्लेषण होगा कि कैसे संसदीय मर्यादा और गरिमा को सभी दलों के सांसद लगातार ठेंगा दिखा रहे हैं।

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BJP MP Abhijit Gangopadhyay uses unparliamentary words during discussion on budget in Lok Sabha video

ये संसद है मी लॉर्ड, जरा गरिमा का ख्याल रखें! (फोटो-बोले भारत)

किसी हाई कोर्ट का जज जब सांसद बनकर भी जजों वाला ही रुआब झाड़ता है तो क्या होता है। क्या जज बन जाने या जज के बाद सांसद बन जाने से ही कोई सभ्य हो सकता है, इसकी कोई गारंटी दे सकता है।

बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान बीजेपी के लोकसभा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने एक बेहद असंसदीय बल्कि गालीनुमा शब्द कहा। गंगोपाध्याय के इस बयान पर बहुत हंगामा मचा लेकिन गंगोपाध्याय पर कोई फर्क नहीं पड़ा। बोले भारत में विश्लेषण होगा कि कि कैसे संसदीय मर्यादा और गरिमा को सभी दलों के सांसद लगातार ठेंगा दिखा रहे हैँ।

पार्टी चाहे कोई भी हो, हर दल के नेता संसदीय मर्यादा को तोड़ना ही मानो अपना संसदीय कर्तव्य मानते हैं। मानवता का उद्विकास यानी एवोल्यूशन ऑफ ह्युमैनिटी तो यही कहती है कि इंसान को समय के साथ और भी सभ्य होना चाहिए।

लेकिन भारतीय संसद में आते आते वो सभ्यता मानो खत्म होने लगती है। जबकि इसी संसद में हास्य-व्यंग्य के शब्दों का लोग बुरा नहीं मानते थे। आज वैसी बात कोई कह दे तो हंगामा मच जाए।

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संसद का सारा कार्यक्रम, सारी परंपराएं, सारे मूल्य संविधान से बंधे हैं। उस संविधान के लिए भी संसद में कई बार बहस हुई है। शोर शराबे के बीच भी तमाम बड़े नेता संसदीय गरिमा को बचाने का प्रयास करते थे। लेकिन आज हर दल के सांसदों के लिए उसका नेता ही मानों संसदीय मर्यादा से बड़ा हो गया है।

तभी तो सदन में उसके आते ही उसके नाम का जयकारा होने लगता है। ये एक अशुभ प्रवृति है। इसकी आहट काफी पहले ही सुनायी पड़ गई थी जब स्पीकर रहते सोमनाथ चटर्जी जैसे दिग्गज नेता ने कहा था कि लोकसभा कार्यसंचालन की नियमावली को जला देना चाहिए अगर उसको मानना ही नहीं है।

पंद्रह साल बाद भी हालात बदले नहीं हैं। आज संसद की गरिमा महाभारत के युद्ध जैसी हो गई है। जैसे वहां दोनों पक्षों ने धर्म की मर्यादा को युद्ध जीतने के लिए तोड़ा, वैसे ही यहां भी संसदीय परंपरा और मर्यादा बार बार तोड़ी जा रही है।

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