कासीबुग्गाः आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शनिवार भगदड़ मचने से 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। मृतकों में आठ महिलाएं और एक 13 वर्षीय लड़का शामिल है, जबकि 25 से अधिक लोग घायल हुए हैं। कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
यह हादसा कासीबुग्गा स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में कार्तिक एकादशी के अवसर पर हुआ। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर में करीब 20,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे। मंदिर में संकरे सीढ़ीनुमा रास्ते पर रेलिंग टूटने से अफरातफरी मच गई और भीड़ बेकाबू हो गई।
मंदिर बनाने वाले ओडिशा के व्यक्ति ने हादसे को बताया ‘एक्ट ऑफ गॉड’
गौरतलब बात है कि वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर एक निजी मंदिर है जो महज चार महीने पहले ही लोगों के लिए खोला गया था। मंदिर को तिरुपति के तिरुमला मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है जिसका निर्माण ओडिशा के रहने वाले 94 वर्षीय हरि मुकुंद पांडा ने किया है।
मंदिर में केवल एक ही गेट था जो प्रवेश और निकास दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। मंदिर बनाने वाले पांडा ने हादसे को लेकर एक गैरजिम्मेदाराना बयान दिया है। उन्होंने इसे एक्ट ऑफ गॉड करार दिया। पांडा ने कहा कि यह किसी की गलती नहीं, यह ईश्वर की इच्छा थी।
जिला पुलिस प्रमुख केवी महेश्वर रेड्डी ने बताया कि मंदिर का गर्भगृह पहली मंजिल पर बना है, जहाँ तक पहुँचने के लिए लगभग 20 सीढ़ियाँ हैं। उन्होंने कहा कि सीढ़ियों की रेलिंग कमजोर थी, जो अचानक टूट गई। एक व्यक्ति नीचे गिरा और इससे भगदड़ मच गई।
जांच में सामने आया है कि मंदिर राज्य के एंडॉवमेंट्स विभाग में पंजीकृत नहीं था, जो आमतौर पर हजारों मंदिरों का संचालन देखता है।

पुलिस को भी नहीं दी गई थी सूचना, सीएम नायडू ने कहा- जिम्मेदार लोगों पर होगी कार्रवाई
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटना को बेहद हृदयविदारक बताया और कहा, अगर पुलिस को पहले सूचना दी गई होती तो उचित भीड़ प्रबंधन किया जा सकता था। जो जिम्मेदार हैं, उन पर कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने बताया कि मंदिर प्रशासन ने न तो पुलिस को और न ही ज़िला प्रशासन को त्योहार के बारे में सूचना दी थी। मामले में बीएनएस की धारा 100 (गैर-इरादतन हत्या) के तहत केस दर्ज किया गया है और मंदिर के चार कर्मचारियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
टीओआई को एक श्रद्धालु आर. रमणम्मा ने बताया कि सुबह तक सब कुछ सामान्य था, लेकिन अचानक भीड़ बढ़ गई। सीढ़ियाँ जाम हो गईं और रेलिंग टूटते ही लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े।”
मृतकों की पहचान ई. चिनम्मी (46), आर. विजय (48), एम. नीलम्मा (60), डी. राजेश्वरी (60), जी. रूपा (50), बी. बृंदा, च. यशोदम्मा (56), डी. अम्मुलम्मा और एल. निखिल (13) के रूप में हुई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सभी घायलों का बेहतर इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “श्रीकाकुलम में हुई भगदड़ से बेहद दुखी हूं। मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।” प्रधानमंत्री ने मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये की सहायता राशि की घोषणा की।
आंध्र प्रदेश में तीसरी बड़ी मंदिर दुर्घटना, देश की छठी भगदड़
यह इस साल आंध्र प्रदेश में तीसरी बड़ी मंदिर दुर्घटना थी। इससे पहले जनवरी में तिरुपति के वैकुंठ एकादशी टोकन सेंटर में छह लोगों की और अप्रैल में विशाखापट्टनम के सिम्हाचलम मंदिर में दीवार गिरने से सात लोगों की मौत हुई थी।
कासीबुग्गा में हुआ यह हादसा देश की छठी भगदड़ की घटना थी। इससे पहले इस साल पांच बड़ी भगदड़ की घटनाएं हुईं। 29 जनवरी को महाकुंभ के दौरान 30 लोगों की मौत हुई। 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18 लोगों की जान गई। गोवा के शिरगांव गांव में लाखों श्रद्धालु श्री लैराई देवी मंदिर में लैराई जात्रा में शामिल होने पहुंचे थे, जहां 7 लोगों की मौत हुई।
4 जून को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास आरसीबी की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान भगदड़ में 11 फैंस की मौत हुई और कई घायल हुए। ताजा हादसा तमिलनाडु के करूर में हुआ, जहां तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) के प्रमुख और अभिनेता विजय की रैली में कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई।
इस साल भगदड़ की घटनाओं में कम से कम 114 लोगों की जान जा चुकी है। इन्हें ‘टाला जा सकने वाला हादसा’ माना जाता है। यह आंकड़ा हाल के वर्षों में दूसरा सबसे ज्यादा है। 2024 में ऐसे हादसों में 123 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से अकेले उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए एक सत्संग के दौरान 116 लोगों की जान गई थी। यह सत्संग स्वयंभू संत नारायण साकर हरि का था।

