Friday, October 17, 2025
Homeभारतउत्तराखंड: सीएजी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पेड़ लगाने के लिए आवंटित राशि...

उत्तराखंड: सीएजी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, पेड़ लगाने के लिए आवंटित राशि से खरीदे गए गैजेट्स

देहरादूनः नियंत्रक और महालेखापरीक्षक यानी सीएजी की एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य में जुलाई 2019 से लेकर नवंबर 2024 तक पेड़ लगाने के लिए करीब 14 करोड़ का फंड आवंटित किया गया था। लेकिन इन रुपयों से पेड़ लगाने के बजाय आईफोन, लैपटॉप, रेफ्रिजरेटर, कूलर और अन्य चीजें खरीदी गई हैं। 

जब वन भूमि पर कोई उद्योग या फिर इंफ्रास्ट्रक्चर का काम किया जाता है या फिर किसी अन्य गैर वन उद्देश्यों के लिए आवंटित किया जाता है तो क्षतिपूर्ण वनीकरण किया जाता है। इसके लिए किसी दूसरे स्थान पर इतनी ही भूमि पर वृक्षारोपण किया जाता है।

सीएजी रिपोर्ट में क्या पता चला? 

रिपोर्ट में पता चला है कि उत्तराखंड में वनीकरण के लिए इस राशि का स्थानांतरण अस्वीकार्य गतिविधियों में कर दिया गया। वनीकरण के लिए आवंटित राशि को राज्य की हरेला योजना, टाइगर सफारी कार्य, इमारतों के नवीनीकरण, आधिकारिक यात्राओं पर खर्च और गैजेट, स्टेशनरी आदि में इस्तेमाल किया गया है। 

सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में पता चला है कि राज्य में ऐसे 52 मामले देखे गए। इन मामलों में 188.6 हेक्टेयर वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसियों द्वारा गैर-वन उपयोग के लिए डायवर्ट किया गया था।

इन एजेंसियों ने बगैर अनुमति के सड़क निर्माण करना शुरू कर दिया। वहीं, वन विभाग इस पर कार्यवाई करने या अपराध के रूप में पंजीकृत करने में असफल रहे। 

वनीकरण की प्रक्रिया में देरी

वहीं रिपोर्ट में यह भी जानकारी सामने आई है कि इसी तरह के 37 मामलों में वनीकरण की प्रक्रिया में देरी हो रही है। जबकि इसके लिए अनुमति आठ साल पहले ही मिल गई थी। हालांकि नियमानुसार राशि आवंटित होने के एक या दो साल में वनीकरण पूरा हो जाना चाहिए। रिपोर्ट एक्सेस में वनीकरण में लगाए गए पेड़ों की जीवित दर मात्र 33.5 प्रतिशत पाई गई है। जबकि वन अनुसंधान संस्थान द्वारा इसके लिए इसके लिए 60-65 प्रतिशत बेंचमार्क तय किया है। 

इसके साथ ही ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पांच क्षेत्रों में करीब 1204 हेक्टेयर भूमि वनीकरण के लिए अनुकूल नहीं थी। इससे यह भी पता चलता है कि वन विभाग द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र गलत थे और बिना उचित मूल्यांकन के दिए गए थे। प्रमाण पत्र देने वाले वन अधिकारियों के खिलाफ भी किसी तरह की कार्यवाई नहीं की गई है। 

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा