देहरादूनः उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के कंधार गांव के निवासियों ने एक सख्त कानून बनाया है। इसके तहत विवाह और अन्य पारिवारिक समारोहों में विवाहित महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले सोने के आभूषणों की संख्या सीमित की है।
इस कदम को उठाने का उद्देश्य बढ़ते खर्च पर रोक लगाना है। इसके अलावा दिखावे की संस्कृति पर भी रोक लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
गांव की सार्वजनिक बैठक में लिया गया निर्णय
यह निर्णय एक सार्वजनिक बैठक में लिया गया। इसका उद्देश्य भव्य विवाह परंपराओं और भारी आभूषण प्रदर्शन के कारण गरीब परिवारों पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय खर्च से राहत दिलाना है।
गांव के इस नए शासन के तहत विवाहित महिलाओं को केवल तीन विशिष्ट स्वर्ण आभूषण पहनने की अनुमति होगी। नए नियमों के मुताबिक, समारोहों में विवाहित महिलाएं नाक की नथ, झुमके और शादी का हार (मंगलसूत्र) पहनने की अनुमति होगी।
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इसके अलावा अन्य सभी भारी या अतिरिक्त आभूषणों का प्रयोग सख्त वर्जित है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने एक गांव के बुजुर्ग के हवाले से लिखा कि सोने की बढ़ती कीमत ने गरीब परिवारों के लिए इसे जारी रखना असंभव बना दिया है। उन्होंने कहा कि अमीरों की नकल करने से अक्सर परिवार कर्ज में डूब जाते हैं या उनकी बचत खत्म हो जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि विवाह एक पवित्र अनुष्ठान है, दिखावे का मंच नहीं।
निवासियों का मानना है कि समाज में सच्ची समानता केवल दिखावे की दीवार को ध्वस्त करके ही प्राप्त की जा सकती है। इस अभूतपूर्व पहल का मुख्य उद्देश्य अमीर और गरीब परिवार के बीच स्पष्ट उपभोग को कम करना, अनावश्यक खर्च पर अंकुश लगाना तथा सादगी और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देना है।
गांव के निवासियों ने क्या बताया?
एक अन्य निवासी ने बताया कि जौनसार-बावर विशिष्ट समुदायों और पारंपरिक प्रथाओं का खजाना है। इस नई पहल का उद्देश्य आर्थिक असमानता को कम करना है। इसके साथ ही वैवाहिक समारोहों में सादगी को भी बढ़ावा देना है। इन नियमों का पालन न करने पर जुर्माना भी लगाया गया है।
इन नियमों का उल्लंघन करने वाली किसी भी महिला पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। कंधार गांव के हर घर के लिए इसे अनिवार्य बनाया गया है।
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न्यू इंडियन एक्सप्रेस को एक अन्य सुरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि कंधार गांव का यह कदम सिर्फ आभूषणों को सीमित करने के बारे में नहीं है यह सामाजिक क्रांति का संदेश है।
यह क्षेत्र जौनसारी लोगों का घर है। यहां पर पारंपरिक रूप से कृषक और अर्ध पशुपालक हैं। यह क्षेत्र दो भागों में विभाजित है। इसमें निचला जौनसार और ऊपरी जौनसार क्षेत्र है। ऊपरी क्षेत्र बर्फ से ढका बावर क्षेत्र है जो यमुना और टोंस नदियों से घिरा है।