Thursday, October 23, 2025
Homeविश्व'आस्था का प्रतीक', अमेरिकी सांसद ने पेंटागन से सिखों के लिए दाढ़ी...

‘आस्था का प्रतीक’, अमेरिकी सांसद ने पेंटागन से सिखों के लिए दाढ़ी हटाने की नीति पर पुनर्विचार करने को कहा

अमेरिकी सांसद ने पेंटागन से सिखों के लिए दाढ़ी हटाने की नीति पर पुनर्विचार करने को कहा है। उन्होंने इसे आस्था का प्रतीक बताया है।

पेंटागनः एक अमेरिकी सासंद ने सेना में सेवारत सिख अमेरिकियों के लिए चिंता व्यक्त की है। सांसद ने पेंटागन से सैन्य सदस्यों के लिए अपनी सामान्य दाढ़ी हटाने की नीति का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह किया है। उन्होंने इसे आस्था का प्रतीक बताया है।

अमेरिकी युद्ध सचिव पीट हेगसेथ को संबोधित करते हुए एक हालिया पत्र में कांग्रेसी थॉमस आर.सुओजी ने उल्लेख किया कि सिखों ने पीढ़ियों से अमेरिकी सैनिकों के साथ सेवा की है। इसमें दोनों विश्व युद्ध भी शामिल है।

आर. सुओजी ने क्या कहा?

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सुओजी के हवाले से लिखा कि सिखों के लिए अपने देश की सेवा करना एक पवित्र कर्त्तव्य है। यह संत-सिपाही (संत-सैनिक) आदर्श का प्रतीक है। यह विश्वास और सेवा का मिश्रण है। सिख धर्म में अनुयायियों से अपेक्षा की जाती है कि वे ईश्वर के समक्ष भक्ति और समानता के प्रतीक के रूप में बिना कटे बाल और दाढ़ी रखें।

उन्होंने कहा कि उनके कई सिख, मुस्लिम और अफ्रीकी अमेरिकी मतदाताओं को चिंता है कि यदि धार्मिक, सांस्कृतिक या चिकित्सा छूट के बिना दाढ़ी प्रतिबंध लागू किया जाता है तो अनजाने में उन्हें वर्दी में अपने देश की सेवा करने से छूट मिल सकती है।

सुओजी ने कहा कि मेरा मानना है कि उच्चतम मानकों को कायम करना पूरी तरह से संभव है। इसके साथ ही मामला-दर-मामला उचित समायोजन को भी संरक्षित करना है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि जो लोग सेवा करने के इच्छुक हैं वे अपनी गहरी मान्यताओं से समझौता किए बिना ऐसा कर सकें।

सुओजी ने इस दौरान यह भी कहा कि कई मुस्लिम पुरुषों के लिए दाढ़ी रखना सुन्नत मुअक्कदा है। यह एक धार्मिक प्रथा है जो विनम्रता और ईश्वर के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

उन्होंने आगे कहा कि कई अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए बालों का गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। यह विरासत और पहचान के प्रतीक के रूप में कार्य करते हैं।

सुओजी ने आगे कहा कि इसके अतिरिक्त प्राकृतिक बालों की बनावट के कारण शेविंग गंभीर चिकित्सकीय चुनौतियां उत्पन्न कर सकती है। इससे अक्सर स्यूडोफोलिकुलिटिस बारबे (पीएफबी) हो सकता है। यह एक दीर्घकालिक और दर्दनाक त्वचा रोग है जो असमान रूप से अश्वेत सदस्यों को प्रभावित करता है। यह सभी भर्ती कर्मियों का लगभग पांचवां हिस्सा है।

सुओजी ने क्या तर्क दिया?

उन्होंने तर्क दिया है कि धार्मिक स्वतंत्रता बहाली अधिनियम (आरएफआरए) सहित वर्तमान कानूनी सुरक्षा उपाय पहले से ही इस तरह के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक ढांचा प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि आपका विभाग आरएफआरए और संबंधित युद्ध विभाग की नीतियों के तहत इन दीर्घकालिक समायोजनों को संरक्षित करते हुए उपस्थिति और अनुशासन के उच्च मानकों को बनाए रख सकता है।

सुओजी ने आगे यह भी कहा कि ऐसा संतुलित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि जो लोग धर्मनिष्ठ और देशभक्त हैं। वे धर्म और देश के बीच चयन करने के लिए मजबूर हुए बिना सम्मानपूर्वक सेवा जारी रख सकें।

बीते महीने पीटर हेगसेथ ने अमेरिकी जनरलों और फ्लैग ऑफिसर्स को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि हम अपने बाल कटवाएंगे, दाढ़ी कटवाएंगे और मानकों का पालन करेंगे…गैर पेशेवर दिखावे का युग समाप्त हो गया है। अब दाढ़ी वाले लोग नहीं रहेंगे।

वहीं, सिख गठबंधन ने दाढ़ी रखने की नीति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह बार-बार सिद्ध हो चुका है कि दाढ़ी रखने से योग्य या सम्मानजनक सैन्य सेवा में बाधा नहीं आती है।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

डॉ उर्वशी on कहानीः इरेज़र
मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा