जम्मू: जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में स्थित गगनगीर में हाल ही में हुए एक आतंकवादी हमले की जांच में गंभीर खुफिया खामियों और घुसपैठ का पता चला है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल से नियंत्रण रेखा (एलओसी) से यह घुसपैठ हो रहे हैं।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों ने रविवार को बताया है कि इन हमलों में स्थानीय युवा काफी तेजी से आतंकी ग्रुपों में शामिल हो रहे हैं और इस तरह की भर्ती को तुरंत रोकने की जरूरत है।
20 अक्टूबर को गगनगीर में हुए आतंकी हमले में एक स्थानीय डॉक्टर और बिहार के दो मजदूरों सहित सात लोगों की मौत हो गई थी। यह हमला गगनगीर के जेड-मोड़ सुरंग के पास हुआ था जब मजदूर सुरंग निर्माण में लगे हुए थे। इस दौरान वहां दो आतंकी आए थे और अंधाधुंध गोलीबारी कर पास के जंगल में चले गए थे।
अधिकारियों ने कहा है कि हमलावरों में से एक कुलगाम का एक स्थानीय युवक है जो साल 2023 में आतंकी ग्रुप में शामिल हुआ है जबकि दूसरा कथित तौर पर पाकिस्तान से घुसपैठ कर भारत आया है।
सुरक्षा अधिकारियों ने क्या कहा है
एजेंसी के अनुसार, सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि स्थानीय युवक के पास एके 47 राइफल था जबकि दूसरे आतंकी के पास अमेरिकी एम-4 राइफल थी। खुफिया रिपोर्ट में दावा है कि स्थानीय आतंकवादी ने मार्च में तुलैल सेक्टर से नियंत्रण रेखा पार करने में घुसपैठियों की मदद की होगी।
अधिकारियों का कहना है कि नियंत्रण रेखा पर तुलैल, गुरेज, माछिल और गुलमर्ग जैसे विशिष्ट क्षेत्रों को घुसपैठ के हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण इसे केवल दावा ही माना जाता रहा है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना की XV कोर में हाल ही में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। इसका उद्देश्य इस तरह के खतरों से निपटने और युवाओं को आतंकवादी समूहों में शामिल होने से रोकने के लिए मानव खुफिया (HUMINT) में सुधार पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का लक्ष्य है।
टेलीग्राम और मास्टोडन जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप हो रहा है इस्तेमाल
सुरक्षा बलों ने पाया है कि आतंकवादी भर्ती और घुसपैठ के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और टेलीग्राम और मास्टोडन जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल हो रहा है। आतंकियों द्वारा टेक्नॉलॉजी की मदद राजौरी और पुंछ जैसे क्षेत्रों में भी ली जा रही है जहां पर इनके इस्तेमाल पर बैन लगा हुआ है।
हाल ही में गुलमर्ग के बोटा पाथरी में एक घटना हुई थी जिसमें दो सैनिकों और दो सेना पोर्टरों की जान चली गई थी। हमले को लेकर अधिकारियों का मानना है कि आतंकी अगस्त महीने से स्थानीय लोगों के साथ मिलकर रह रहे थे जो सेना के लिए उन्हें पकड़ना काफी कठिन बना देता है।
अधिकारियों ने यह भी कहा है कि हाल में हुए जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के दौरान आतंकियों ने लो प्रोफाइल बनाए रखा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव को देखते हुए हर तरफ कड़े सुरक्षा इंतेजाम किए हुए थे जिससे बचने के लिए उन लोगों ने यह रणनीति अपनाई होगी।