संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा युद्ध समाप्त करने की योजना को समर्थन देते हुए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव के साथ गाजा में अंतरराष्ट्रीय स्टेबलाइजेशन फोर्स (आईएसएफ) तैनात करने का रास्ता साफ हो गया है, जिसका मकसद युद्ध से तबाह इलाके में शांति, कानून-व्यवस्था और पुनर्निर्माण सुनिश्चित करना है।
सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव को मंजूरी पर ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपनी प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए दावा किया कि इससे दुनिया में शांति की नई दिशा तय होगी। उन्होंने लिखा, यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास की सबसे बड़ी मंजूरियों में से एक के रूप में दर्ज होगा, दुनिया भर में शांति को बढ़ावा देगा और यह एक सच्चे ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है।’
यह फैसला ट्रंप प्रशासन की बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। प्रस्ताव में ट्रंप की 20 सूत्रीय योजना को शामिल किया गया है और ‘बोर्ड ऑफ पीस’ (बीओपी) को गाजा की अंतरिम प्रशासनिक संस्था के रूप में मान्यता दी गई है। यह बोर्ड गाजा में अगले चरण की शासन व्यवस्था और पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी संभालेगा।
आगे की प्रक्रिया में विश्व बैंक जैसे संस्थानों को गाजा के पुनर्निर्माण में जोड़ा जाएगा। ट्रंप प्रशासन जल्द ही बोर्ड ऑफ पीस के सदस्यों की भी घोषणा करेगा और अमेरिका, इजराइल तथा फिलिस्तीनी प्राधिकरण के बीच संवाद शुरू करने की तैयारी चल रही है।
फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र बनने का रास्ता भी खुला
इस प्रस्ताव की खास बात यह है कि इसमें पहली बार फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र बनने की संभावना को शामिल किया गया है। ट्रंप प्रशासन पहले इसका विरोध करता रहा था, लेकिन अब सुरक्षा परिषद ने विश्वसनीय रास्ते की बात कही है, जिससे फिलिस्तीन को भविष्य में राज्य का दर्जा दिया जा सकता है।
अमेरिका के प्रस्ताव पर शुरू में रूस ने आपत्ति दर्ज कर अलग प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन अरब और मुस्लिम देशों के समर्थन के बाद रूस और चीन ने मतदान में हिस्सा न लेते हुए परहेज किया। बाकी 13 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। अल्जीरिया ने कहा कि शांति तभी संभव है, जब फिलिस्तीन को राष्ट्र का दर्जा मिल जाए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रस्ताव का स्वागत करते हुए जल्द से जल्द जमीनी कार्रवाई की जरूरत बताई।
क्या करेगा अंतरराष्ट्रीय स्टेबलाइजेशन फोर्स?
प्रस्ताव के तहत अंतरराष्ट्रीय स्टेबलाइजेशन फोर्स गाजा में युद्धविराम के बाद अगले चरण में तैनात किया जाएगा। इसका उद्देश्य हमास को निशस्त्र करना, कानून-व्यवस्था बहाल करना, फिलिस्तीनी सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करना और पुनर्निर्माण की निगरानी करना होगा। यह संयुक्त राष्ट्र का पारंपरिक शांति मिशन नहीं होगा और सीधे सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट भी नहीं करेगा, जिसे लेकर बीजिंग और मॉस्को ने चिंता जताई है।
हमास ने प्रस्ताव को किया खारिज
हालांकि हमास ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। उसका कहना है कि वह हथियार नहीं डालेगा और यह योजना गाजा पर अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण थोपने की कोशिश है, जो फिलिस्तीनी जनता की मर्जी के खिलाफ है।
हमास ने बयान में कहा कि यह प्रस्ताव फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों और उनकी मूल मांगों को नजरअंदाज करता है और गाजा पर एक अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण व्यवस्था थोपने की कोशिश करता है, जिसका हमास और अन्य फिलिस्तीनी गुट लंबे समय से विरोध करते रहे हैं। साथ ही हमास ने उन प्रावधानों पर भी कड़ी आपत्ति जताई है जिनमें अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल को सशस्त्र समूहों को निष्क्रिय करने की जिम्मेदारी दी गई है।
इजराइल में भी इस प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है, क्योंकि इसमें भविष्य में फिलिस्तीन को राज्य का रास्ता देने की संभावना का उल्लेख है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले ही साफ कह चुके हैं कि इजराइल फिलिस्तीनी राज्य के विरोध में है और गाजा को हर हाल में निशस्त्र किया जाएगा।

