अमेरिका में बढ़ती महंगाई के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई भारतीय सामानों पर से टैरिफ हटा दिया है। ट्रंप ने 200 से अधिक खाद्य और कृषि उत्पादों पर लगे आयात शुल्क (टैरिफ) को हटा दिया है। यह फैसला अमेरिकी उपभोक्ताओं को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए लिया गया है।
पिछले डेढ़ साल से सख्त टैरिफ नीतियों से परेशान भारतीय मसाला, चाय, कॉफी और काजू निर्यातकों के लिए यह राहत की खबर है। पहले ट्रंप प्रशासन ने कई भारतीय उत्पादों पर शुल्क दोगुना कर 50 प्रतिशत तक कर दिया था, जिससे इन सेक्टरों की अमेरिकी बाजार में पकड़ कमजोर पड़ गई थी। ये छूट 12 नवंबर को व्हाइट हाउस के कार्यकारी आदेश से जारी हुआ और 13 नवंबर से लागू हो गया।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई छूट से खोई हुई मांग वापस आ सकती है, खासकर उन उत्पादों में जहां भारत पहले से मजबूत है। रॉयटर्स के अनुसार, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन्स (एफआईईओ) के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि इस टैरिफ छूट से लगभग 2.5 से 3 अरब डॉलर का निर्यात सीधे लाभ में आएगा, जबकि व्यापार अधिकारियों के मुताबिक यह कदम चल रही भारत-अमेरिका व्यापार बातचीत के लिए भी सकारात्मक संकेत है।
टैरिफ बढ़ने के बाद सितंबर में अमेरिका को भारतीय वस्तुओं का निर्यात लगभग 12% गिर गया था। भारतीय कृषि निर्यात, जिसका मूल्य 2024 में 5.7 बिलियन डॉलर अनुमानित था, सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। भारतीय कृषि निर्यात नीति से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, इस कदम से भारतीय किसानों और चाय, कॉफी, काजू और फल-सब्जियों के निर्यातकों को सीधा लाभ होगा।
हालांकि, थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने रॉयटर्स को बताया कि भारतीय कृषि निर्यात को सीमित लाभ ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि टैरिफ में बदलाव से मसालों और विशिष्ट बागवानी में भारत की स्थिति थोड़ी मजबूत होगी और टैरिफ बढ़ने के बाद खोई हुई कुछ अमेरिकी मांग को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
कौन से उत्पादों को मिली छूट
नई सूची में मसाले, चाय, कॉफी, काजू और करीब 50 प्रकार के प्रोसेस्ड फूड शामिल हैं, जो भारत के कृषि निर्यात का बड़ा हिस्सा बनाते हैं। मसालों का निर्यात अकेले 500 मिलियन डॉलर से अधिक है और काजू की वैश्विक मांग में भारत की हिस्सेदारी लगभग एक-पांचवें हिस्से की है। फलों और मेवों की कुछ श्रेणियों को भी लाभ होगा, हालांकि इनकी अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी सीमित है। कुल मिलाकर यह राहत भारत के 5.7 बिलियन डॉलर के कृषि शिपमेंट के करीब पांचवें हिस्से को सीधे प्रभावित करती है।
हालांकि तस्वीर पूरी तरह एकतरफा नहीं है। झींगा, बासमती चावल और समुद्री खाद्य जैसी भारत की उच्च राजस्व वाली श्रेणियों को छूट नहीं मिली है। रत्न, आभूषण और परिधान पर 50 प्रतिशत टैरिफ भी जस का तस है, जिसे ट्रंप प्रशासन एक व्यापक व्यापार समझौते से जोड़ रहा है।
दूसरी चुनौती यह है कि वियतनाम, इंडोनेशिया और लैटिन अमेरिकी देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा, ऊंची फ्रेट लागत और कड़े अमेरिकी गुणवत्ता मानक भारतीय निर्यातकों के सामने अभी भी मौजूद रहेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि मसालों और कुछ निचे उत्पादों में लाभ तो मिलेगा, लेकिन अमेरिकी बाजार में भारत की सीमित मौजूदगी के कारण कई श्रेणियों में फायदा कम रहेगा।

