Friday, October 17, 2025
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तिरुमला ट्रस्ट ने गैर-हिंदू कर्मचारियों से कहा, वीआरएस लें या स्थानांतरण चुनें

तिरुपति: तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें बोर्ड में कार्यरत गैर-हिंदू कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने या आंध्र प्रदेश के अन्य सरकारी विभागों में स्थानांतरण का विकल्प चुनने को कहा गया है।

टीटीडी एक स्वतंत्र सरकारी ट्रस्ट है, जो दुनिया के सबसे अमीर हिंदू मंदिरों में से एक तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन करता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, टीटीडी के अध्यक्ष बीआर नायडू ने इस निर्णय की पुष्टि की, लेकिन गैर-हिंदू कर्मचारियों की सटीक संख्या बताने से इनकार किया।

300 कर्मचारी होंगे प्रभावित

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह कदम बोर्ड के लगभग 7,000 स्थायी कर्मचारियों में से करीब 300 कर्मचारियों को प्रभावित करेगा। टीटीडी में लगभग 14,000 संविदा कर्मचारी भी काम करते हैं।

टीटीडी के इस फैसले का समर्थन कई कर्मचारी यूनियनों ने भी किया है। उन्होंने इसे आंध्र प्रदेश एंडोमेंट्स एक्ट और टीटीडी एक्ट के अनुरूप बताया है। एक यूनियन प्रतिनिधि ने कहा, “इस नियम को पूरी तरह लागू किया जाना चाहिए।”

31 अक्टूबर को टीटीडी के अध्यक्ष बनने के बाद, नायडू ने यह स्पष्ट कर दिया था कि मंदिर का प्रबंधन केवल हिंदुओं द्वारा किया जाना चाहिए।

कानूनी और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

पिछले कुछ वर्षों में, टीटीडी अधिनियम में तीन बार संशोधन किया गया है, जिसमें यह निर्धारित किया गया कि मंदिर बोर्ड और इसके संबद्ध संस्थानों द्वारा केवल हिंदुओं को ही नियुक्त किया जाना चाहिए। 1989 में जारी एक सरकारी आदेश में भी कहा गया था कि टीटीडी द्वारा प्रशासित पदों पर केवल हिंदुओं की नियुक्ति की जाएगी।

हालांकि, सूत्रों का दावा है कि इन प्रावधानों के बावजूद गैर-हिंदू कर्मचारी संगठन में काम कर रहे हैं। जून में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद, हिंदू कर्मचारियों ने कथित तौर पर अन्य धर्मों के सहकर्मियों की पहचान कर शिकायतें दर्ज करवाईं।

टीटीडी का यह निर्णय उस समय आया है जब नायडू सरकार ने पिछले वाईएसआरसीपी प्रशासन पर आरोप लगाया कि मंदिर के प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू के निर्माण में जानवरों की चर्बी वाले घी का उपयोग किया गया था। यह मामला बड़ा विवाद बन गया था।

संविधान और कानून का समर्थन

यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16(5) का पालन करता है, जो धार्मिक या सांप्रदायिक प्रकृति के संस्थानों को अपने धर्म के सदस्यों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। इसके अतिरिक्त, आंध्र प्रदेश चैरिटेबल एंड हिंदू रिलीजन इंस्टीट्यूशंस एंड एन्डोमेंट्स सबऑर्डिनेट सर्विस रूल्स के नियम 3 के अनुसार, धार्मिक संस्थानों के कर्मचारियों का हिंदू धर्म का पालन करना अनिवार्य है।

नवंबर 2023 में, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने नियम 3 को बरकरार रखते हुए कहा था कि ट्रस्ट बोर्ड सेवा शर्तों को लागू करने के लिए अधिकृत हैं, जिसमें यह शर्त भी शामिल है कि कर्मचारियों का हिंदू धर्म का पालन करना आवश्यक है।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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