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प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को न बुलाने पर घिरने के बाद मुत्ताकी का बहाना, ‘तकनीकी समस्या’ बताई वजह

आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को न बुलाए जाने की तकनीकी वजह बताई। रविवार को हुई कॉन्फ्रेंस में महिलाएं भी आईं। तालिबानी विदेश मंत्री ने इसकी तकनीकी वजह बताई।

नई दिल्लीः बीते शनिवार, 11 अक्टूबर को महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से रोकने पर व्यापक आलोचना का सामना करने के बाद, तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने रविवार को अपनी चुप्पी तोड़ी और विवाद को “तकनीकी समस्या” बताया।

मीडिया को संबोधित करते हुए मुत्ताकी ने कहा कि पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए पत्रकारों की एक विशिष्ट सूची तैयार की गई थी और उसके मुताबिक निमंत्रण भेजे गए थे। गौरतलब है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिलाएं भी मौजूद थीं।

मुत्ताकी ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि “प्रेस कॉन्फ्रेंस के संबंध में यह अल्प सूचना पर आयोजित की गई थी और पत्रकारों की एक छोटी सूची तय की गई थी और जो भागीदारी सूची प्रस्तुत की गई थी वह बहुत विशिष्ट थी। यह एक तकनीकी मुद्दा था। हमारे सहयोगियों ने पत्रकारों की एक विशिष्ट सूची को निमंत्रण भेजने का निर्णय लिया था और इसके अलावा कोई अन्य इरादा नहीं था।”

तालिबानी विदेश मंत्री एक सप्ताह की भारत यात्रा पर हैं। पर लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाया गया था, क्योंकि उनकी प्रारंभिक प्रेस वार्ता में सभी महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया था। इस कृत्य की मीडिया संस्थाओं, विपक्षी नेताओं और नागरिक समाज द्वारा समान रूप से कड़ी निंदा की गई थी।

भारत सरकार ने हालांकि इस विवाद से तुरंत खुद को अलग कर लिया था। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस प्रेस वार्ता के आयोजन में उसकी “कोई संलिप्तता” नहीं थी लेकिन आलोचकों ने कहा कि समन्वय की परवाह किए बिना, बिना किसी आपत्ति के इस तरह के बहिष्कार की अनुमति देना बहुत ही परेशान करने वाला है।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “अफगानिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा कल दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय की कोई भागीदारी नहीं थी।”

मीडिया संस्थाओं ने भी की निंदा

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) ने इस बहिष्कार की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता और लैंगिक समानता का गंभीर अपमान बताया।

गिल्ड ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा, “हालांकि राजनयिक परिसर वियना कन्वेंशन के तहत सुरक्षा का दावा कर सकते हैं, लेकिन इससे भारतीय धरती पर प्रेस की पहुंच में स्पष्ट लैंगिक भेदभाव को उचित नहीं ठहराया जा सकता।”

इस व्यापक आक्रोश के बाद मुत्ताकी की टीम ने रविवार को एक अन्य प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए महिला पत्रकारों को निमंत्रण दिया जिसे जनता के दबाव के जवाब में एक अनिच्छुक सुधार के रूप में देखा गया।

कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पी चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस घटना पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की और इसे “भारत की महिला पत्रकारों का अपमान” बताया।

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प्रियंका गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, कृपया तालिबान के प्रतिनिधि के भारत दौरे पर उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को हटाए जाने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। अगर महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देना एक चुनाव से दूसरे चुनाव तक अपनी सुविधानुसार दिखावा करना नहीं है, तो फिर हमारे देश में भारत की कुछ सबसे सक्षम महिलाओं का अपमान कैसे होने दिया गया, एक ऐसे देश में जिसकी महिलाएं इसकी रीढ़ और गौरव हैं?”

वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इस घटना को राष्ट्रीय शर्मिंदगी बताते हुए कहा, “सरकार ने तालिबान मंत्री को महिला पत्रकारों को बाहर करने की अनुमति देकर हर एक भारतीय महिला का अपमान किया है। रीढ़विहीन पाखंडियों का शर्मनाक समूह।”

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने आगे कहा कि शुक्रवार के कार्यक्रम में शामिल पुरुष पत्रकारों को अपनी महिला सहकर्मियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कार्यक्रम से बाहर निकल जाना चाहिए था।

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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