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Tahawwur Rana की परिवार से बात करने की याचिका पर अदालत ने फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्लीः दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने 26/11 मुंबई हमलों के सह आरोपी तहव्वुर राणा की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है जिसमें उसने परिवार से बात करने की अनुमति मांगी थी।

अदालत के समक्ष पेश हुए राणा के वकील ने तर्क दिया कि एक विदेशी नागरिक होने के नाते उसे परिवार से बात करने का मूल अधिकार है। वकील ने बताया कि तहव्वुर के परिवार के लोग हिरासत में उसकी स्थिति को लेकर चिंतित हैं। 

NIA ने किया विरोध

हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस मांग का विरोध किया और कहा कि जांच अभी भी जारी है। इसके साथ ही एनआईए ने कहा वह “संवेदनशील जानकारी” का खुलासा कर सकता है। 

ऐसी संभावना है कि अदालत गुरुवार को इस पर फैसला सुना सकती है। गौरतलब है कि 64 वर्षीय पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक ने अपने कानूनी प्रतिनिधि के द्वारा 19 अप्रैल को परिवार से बात करने के लिए याचिका दायर की थी। भारत लाए जाने के बाद 10 अप्रैल को उसे 18 दिन की कस्टडी में रखा गया था। 

एनआईए के मुताबिक, साल 2008 में मुंबई में हुए हमलों में राणा ने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर मुख्य साजिशकर्ता का रोल अदा किया था। राणा ने ही हेडली को मुंबई भेजने के लिए दस्तावेज और यहां रहने और स्थानों को चिह्नित करने के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराईं थीं। 

एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया कि हेडली ने इस पूरे अभियान के बारे में भारत आने से पहले राणा के साथ चर्चा की थी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों में 166 लोगों ने जान गंवाई थी। 

इन हमलों के संदर्भ में अमेरिका ने राणा पर साल 2011 में मामला दर्ज किया था। इस बीच लंबे समय भारत में उसका प्रत्यर्पण हुआ है। 

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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