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आनंद मोहन की पहचान बिहार के एक बाहुबली नेता के तौर पर है। बिहार के कोसी क्षेत्र से आने वाले आनंद मोहन छात्र जीवन में 1974 के जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे थे और तभी उनकी पहचान बनने लगी थी। इसके बाद वे पहली बार 1990 में जनता दल के टिकट पर सहरसा के महिषी से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। राजपूत जाति से आने वाले आनंद मोहन ने 1993 में जनता दल से अलग होकर ‘बिहार पीपुल्स पार्टी’ बनाई। अब हालांकि यह पार्टी अस्तित्व में नहीं है। बिहार में 90 के दशक में जब जातीय संघर्ष चरम पर था और मंडल आयोग की आरक्षण की सिफारिश चर्चा में थी, उस समय आनंद मोहन अगड़ी जातियों में लोकप्रिय होने लगे। साल 1993 में आनंद मोहन पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के आरोप लगे और 2007 में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फांसी की सजा सुनाई। बाद में पटना हाई कोर्ट ने दिसंबर 2008 में इस सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। साल 2023 में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने जेल मैनुअल में संशोधन करते हुए आनंद मोहन समेत 27 लोगों की रिहाई के आदेश दिए। इसे लेकर तब खूब विवाद भी हुआ था।