Thursday, October 16, 2025
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स्विस कंपनी का महाराष्ट्र सरकार को कानूनी नोटिस, 1.58 करोड़ रुपये की बकाया राशि से जुड़ा है मामला

मुंबईः एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के दौरान आतिथ्य और खानपान सेवाओं के लिए 1.58 करोड़ रुपये के कथित भुगतान न करने के आरोप में स्विस कंपनी द्वारा कानूनी नोटिस भेजा गया है। यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से सामने आई है।
कंपनी का दावा और भुगतान का विवाद क्या है?

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ द्वारा प्राप्त नोटिस में ठेकेदार SKAAH ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार की औद्योगिक विकास इकाई महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमआईडीसी) ने अभी तक 1.58 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। यह राशि दावोस में जनवरी 15 से 19 के बीच आयोजित डब्ल्यूईएफ के दौरान आतिथ्य सेवाओं के लिए बकाया है। यह नोटिस 28 अगस्त को जारी किया गया था।

नोटिस में यह भी बताया गया है कि एमआईडीसी ने पहले ही 3.75 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था, लेकिन यह 1.58 करोड़ रुपये की शेष राशि अभी तक नहीं दी गई है। स्विस कंपनी ने सभी सेवाओं के बिल सहित सबूत भी पेश किए हैं जो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में प्रदान की गई थीं।

एमआईडीसी की प्रतिक्रिया

एमआईडीसी के सीईओ पी वेलरासु ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में कहा, “मुझे ऐसे किसी नोटिस की जानकारी नहीं है। हालांकि, एमआईडीसी वाउचर की जांच करेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा। मामले का निपटारा योग्यता के आधार पर जल्द से जल्द किया जाएगा।”

उद्योग मंत्री का बयान

महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा, “हमने कोई अधिक खर्च नहीं किया है। यह एमवीए के विधायक हैं जो ऐसे आरोप लगा रहे हैं। हमारी कानूनी टीम इस नोटिस का जवाब देगी और यह देखेगी कि समस्या क्या है।”

गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) ने दावोस यात्रा पर अत्यधिक खर्चों का मुद्दा उठाया था और इस भुगतान विवाद को सरकार के फिजूल खर्ची का संकेत बताया था।

ये भी पढ़ेंः पाकिस्तान जाएंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर, 15-16 अक्टूबर को SCO मीटिंग में लेंगे हिस्सा

विपक्ष ने क्या कहा?

एनसीपी (एसपी) के विधायक रोहित पवार ने कहा, “महाराष्ट्र सरकार का यह रवैया दावोस जैसे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय निवेश मंच पर राज्य की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे निवेशकों को गलत संदेश जाएगा।”

स्विस कंपनी का आरोप

स्विस कंपनी ने अपने नोटिस में यह भी उल्लेख किया है कि प्रतिनिधिमंडल के लिए निर्दिष्ट संख्या से अधिक लोगों के लिए सेवाएं उपलब्ध कराई गईं और इसके बावजूद कंपनी ने सभी आवश्यकताओं को पूरा किया।

कंपनी का दावा है कि भुगतान न होने से उसकी वित्तीय स्थिति और क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ा है। नोटिस में यह भी कहा गया है कि “इस मुद्दे का समाधान अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर रहा है। और किसी भी विवाद या संघर्ष से बचने के लिए तत्काल समाधान जरूरी है।”

स्विस फर्म ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने एमआईडीसी के प्रतिनिधियों से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी कॉल और ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। कंपनी का कहना है कि एमआईडीसी ने जानबूझकर अपनी भुगतान संबंधी जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया।

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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