हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष गद्दाम प्रसाद कुमार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को उन 10 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है, जो पिछले साल मार्च और जून के बीच भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। तेलंगाना में 2023 के विधानसभा चुनाव में 2014 में राज्य के गठन के बाद से सत्ता में रही बीआरएस को कांग्रेस ने करारी शिकस्त दी थी।
चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने गद्दाम कुमार को निर्देश दिया कि वे अगले हफ्ते तक सुनवाई पूरी करें, वरना अदालत की अवमानना का सामना करने के लिए तैयार रहें। इससे पहले 31 जुलाई को भी तीन महीने का अल्टीमेटम दिया गया था, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। गद्दाम कुमार पर बीआरएस ने इस मामले में ‘जानबूझकर निष्क्रिय’ बने रहने और कोई कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है।
वहीं, स्पीकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि दो हफ्ते में फैसला हो जाएगा।
‘नया साल कहां मनाना चाहते हैं…’
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि स्पीकर को यह तय करना है कि वह नए साल की पूर्व संध्या कहाँ मनाना चाहते हैं। अदालत ने गद्दाम कुमार के खिलाफ अदालती आदेशों की अनदेखी करने के लिए अवमानना की कार्रवाई की दलीलें भी सुनीं।
कोर्ट ने कहा, ‘… यह उन्हें तय करना है। हम पहले ही कह चुके हैं कि इन मामलों पर विचार करते समय उन्हें संवैधानिक छूट प्राप्त नहीं है। इसलिए, उन्हें यह तय करना होगा कि उन्हें अपना नया साल कहाँ मनाना है।’
मुख्य न्यायाधीश ने सख्त नाराजगी जताते हुए कहा, ‘यह अदालत की घोर अवमानना है।’
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीआरएस के 10 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाएँ संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत, जो दलबदल से संबंधित है, बीआरएस विधायक कौशिक रेड्डी द्वारा दायर की गई थीं। इस मामले पर स्पीकर की ओर से निर्णय में देरी के कारण बीआरएस को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की सख्ती को देखते हुए सितंबर के आखिरी हफ्ते में विधानसभा अध्यक्ष ने 10 दलबदलू विधायकों द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों की जांच के बाद संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत मुकदमा चलाने का निर्णय लिया था।
इन विधायकों में दानम नागेंद्र (खैरताबाद), टेल्लम वेंकट राव (भद्राचलम), कड़ियम श्रीहरी (स्टेशन घनपुर), पोचरम श्रीनिवास रेड्डी (बंसवाड़ा), एम. संजय कुमार (जगटियाल), अरेकापुड़ी गांधी (सेरिलिंगमपल्ली), टी. प्रकाश गौड़ (राजेंद्रनगर), बी. कृष्ण मोहन रेड्डी (गडवाल), जी. महिपाल रेड्डी (पतनचेरु) और काले यादव (चेवेल्ला) हैं, जिन्होंने पिछले साल बीआरएस छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे।
31 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने विधानसभा को निर्देश दिया था कि वह नवंबर 2023 के चुनावों के बाद कांग्रेस में शामिल हुए 10 बीआरएस विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर निर्णय ले।
इस पूरे मामले को दलबदल विरोधी कानून के एक अहम टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। बीआरएस ने अपने दलबदलू विधायकों पर ‘स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ने’ का आरोप लगाया है। पार्टी का तर्क है कि यह कानून का स्पष्ट उल्लंघन है और उन्हें अयोग्य ठहराना उचित है।
अगर याचिका के हक में फैसला आता है तो सभी 10 विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता है औ इन सीटों पर उपचुनाव कराने होंगे। यह कांग्रेस की छवि के लिए भी नुकसान पहुंचाने वाला है।

