नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव से जुड़े मद्रास हाई कोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी है। सद्गुरु ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी जिसके बाद शीर्ष अदालत ने यह रोक लगाई है।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न केवल हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है बल्कि केस की आगे सुनवाई को अपने यहां ट्रांसफर कर लिया है।
दरअसल, ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु पर उनके आश्रम में “महिलाओं को साधु बनने के लिए मजबूर करने” का आरोप लगा है। दो बहनों की पिता ने सद्गुरु पर उनकी बेटियों का “ब्रेनवॉश” करने और उन्हें उनकी बेटियों से मिलने नहीं देने का आरोप लगाया था।
इन आरोप में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिस पर कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई हुई है। इस याचिका और इन कार्रवाई के खिलाफ सद्गुरु ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा फाउंडेशन की याचिका का समर्थन किया गया है। ऐसे में मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी जिस पर आज सुनवाई हुई है।
कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुनावाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “आप पुलिस या सेना को इस तरह से किसी भी जगह में प्रवेश नहीं करने दे सकते हैं।”
कोर्ट की सुनवाई के दौरान दोनों बहनों में से एक से बहन ने ऑनलाइन सुनवाई के दौरान पेश हुई थी। उसने कोर्ट में कहा है कि वह अपनी इच्छा से सद्गुरु के ईशा योगा सेंटर में रह रही है।
लड़की ने यह भी कहा है कि वे दोनों बहने अपनी मर्जी से सेंटर में रह रही हैं। उसने यह भी दावा किया है कि वे पिछले आठ सालों से अपने पिता द्वारा उत्पीड़न का सामना कर रही हैं। मामले में अदालत ने आगे संकेत दिया है कि वह दोनों लड़कियों से निजी तौर पर भी बातचीत करेगी।
क्या है पूरा मामला
कुछ दिन पहले मद्रास हाई कोर्ट में लड़कियों के पिता सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस. कामराज ने एक याचिका दायर की थी। याचिका में पिता ने दावा किया था कि उनकी बेटियों को हमेशा के लिए ईशा योग केंद्र में रहने के लिए “ब्रेनवॉश” किया गया है।
पिता ने यह भी आरोप लगाया कि संस्था द्वारा उनकी बेटियों से मिलने भी नहीं दिया जाता है। मामले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने सद्गुरु द्वारा महिलाओं को संन्यासी बनाने के लिए प्रोत्साहित करने पर भी सवाल उठाया गया था।
कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा था कि सद्गुरु ने अपनी बेटियों की शादी की है जबकि औरों को सन्यासी बनने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से सद्गुरु के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की जांच करने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद एक अक्टूबर को करीब 150 पुलिस वालों द्वारा कार्रवाई की थी। पुलिस द्वारा कोयंबटूर के थोंडामुथुर में ईशा फाउंडेशन के आश्रम में तलाशी अभियान चलाया था।
पुलिस के इस जांच और तलाशी अभियान पर ईशा फाउंडेशन ने एक बयान जारी किया था। बयान में इस बात पर जोर दिया गया था कि फाउंडेशन योग और आध्यात्मिकता जैसी सेवाएं प्रदान करने पर ही केवल केंद्रित है। बयान में यह भी कहा गया था कि संस्था में रहने वाले लोगों को अपने जीवन में विकल्पों को चुनने की स्वतंत्रता है।