Friday, October 17, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार से जुड़े इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले पर लगाई रोक

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस विवादास्पद आदेश पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि ब्रेस्ट छूना या पाजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही इस आदेश में यह भी कहा गया था कि अभियोजन पक्ष को बलात्कार के आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए तैयारी के इस चरण के लिए आगे जाना होगा। 

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है जब ‘वी द वीमेन ऑफ इंडिया’ नामक संगठन ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

बीआर गवई और जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनाया फैसला

जस्टिस बीआर गवई और आगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह फैसला उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की ओर से “संवेदनशीलता” की कमी को दर्शाता है। 

बार एंड बेंच ने इस मामले पर कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए लिखा कि ” हमें यह कहते हुए दुःख हो रहा है कि यह निर्णय लिखने वाले की ओर से संवेदनशीलता की पूर्ण कमी को दर्शाता है। यह कोई तात्कालिक घटना नहीं थी बल्कि आरक्षण के चार महीने के बाद इसे सुनाया गया। इस प्रकार इसमें मन का प्रयोग हुआ। हम आमतौर पर इस स्तर पर स्थगन देने से हिचकते हैं। लेकिन चूंकि पैरा 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से अनभिज्ञ हैं और अमानवीय दृष्टिकोण दर्शाती हैं। हम उक्त पैरा में की गई टिप्पणियों पर रोक लगाते हैं। “

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा है तथा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से भी सहायता मांगी है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा था? 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने यह विवादित आदेश पास किया था जिसमें आरोपित की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार किया गया था।

उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि अभियुक्त पर भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी का धारा-354 बी (नंगा करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग) तथा पॉक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा चलाया जाए। 

इस मामले में अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि अभियुक्तों ने 11 साल की पीड़िता बच्ची के स्तनों को पकड़ा और उनमें से एक ने उसके पाजामें का नाड़ा तोड़ दिया और उसे यूपी के कासगंज में पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया। राहगीरों/गवाहों के हस्तक्षेप के कारण आरोपी व्यक्ति पीड़िता को छोड़कर मौके से भाग गए। 

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
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