नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 17 नवंबर को राजस्थान सरकार के अधिकारियों को जोजरी नदी के संबंध में फटकार लगाई है। अदालत ने नदी में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर विफल रहने पर अधिकारियों को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि इससे 20 लाख लोगों को हुई परेशानी ‘अविश्वसनीय’ है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठसु जोजरी नदी के पानी के प्रदूषण से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा “घटनास्थल पर जो कठोर वास्तविकता है वह चिंताजनक है।” उन्होंने आगे कहा, “लोगों को जो कष्ट हुआ है वह अविश्वसनीय है।”
यह देखा गया कि सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (सीईटीपी) को नजरअंदाज कर दिया गया था और अपशिष्ट को सीधे नदी में छोड़ दिया गया था।
पीठ ने प्राधिकारियों की ओर से उपस्थित वकील से पूछा “यही तो हो रहा है। हमें नगर निकायों को दोषमुक्त क्यों करना चाहिए?”
जस्टिस मेहता ने कहा, “जो कुछ हुआ है वह सभी संबंधित अधिकारियों की नाक के नीचे और उनकी मिलीभगत से हुआ है।” इस दौरान राज्य की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि उन्होंने मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
पीठ ने आगे कहा कि रिपोर्ट वस्तुतः इस मामले में पारित आदेश में कही गई बातों को सही साबित करती है।
इसमें कहा गया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने में राज्य सरकार विफल रही है जिसके कारण 20 लाख लोग परेशान हैं। राज्य के वकील ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि पाली और बालोतरा नगर परिषदें, जोधपुर नगर निगम और राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम लिमिटेड (रीको) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा जारी “सकारात्मक निर्देशों” के संबंध में अपनी अपीलों को आगे नहीं बढ़ाएंगे।
एनजीटी ने फरवरी 2022 में तीन नदियों – लूनी, बांडी और जोजरी में प्रदूषण से संबंधित मामले में यह आदेश पारित किया था। रीको और इन नागरिक निकायों द्वारा दायर अपीलें भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गईं।
राज्य की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा मामले का स्वतः संज्ञान लेने के बाद उन्होंने राज्य प्राधिकारियों को सलाह दी कि उन्हें एनजीटी के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
हालांकि उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को एनजीटी द्वारा प्राधिकारियों के खिलाफ की गई टिप्पणियों और लगाए गए जुर्माने के संबंध में मामले को लंबित रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हुई प्रगति देख सकता है।
21 नवंबर को पारित करेगी आदेश
इस दौरान पीठ ने राज्य की स्थिति रिपोर्ट को रिकार्ड पर लिया और कहा कि वह इस मामले में 21 नवंबर को आदेश पारित करेगी।
इससे पहले 7 नवंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने राज्य से यह बताने को कहा था कि क्या रीको और तीन नागरिक निकाय एनजीटी के फरवरी 2022 के आदेश के खिलाफ अपनी-अपनी अपील जारी रखना चाहते हैं।
वकील ने कहा था कि एनजीटी के आदेश में रीको को 2 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने कहा था कि जोजरी नदी में प्रदूषण से संबंधित मामले में एनजीटी के आदेश के खिलाफ लंबित अपीलों की सुनवाई नदी के पानी के प्रदूषण पर स्वतः संज्ञान मामले के साथ की जानी चाहिए।
अदालत ने यह आदेश स्वतः संज्ञान मामले में पारित किया जिसका शीर्षक था “राजस्थान की जोजरी नदी में प्रदूषण से 20 लाख लोगों की जान जोखिम में”।
16 सितंबर को शीर्ष अदालत ने मुख्य रूप से कपड़ा और अन्य कारखानों से निकलने वाले औद्योगिक कचरे को नदी में बहाए जाने पर स्वतः संज्ञान लिया था और कहा था कि इससे सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं।
अदालत ने इस दौरान कहा था कि इसके कारण पीने का पानी मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी सुरक्षित नहीं है और इससे उनके स्वास्थ्य तथा अन्य पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है।

