नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण और खराब वायु गुणवत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए इसे ‘बहुत गंभीर’ बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कहा कि वे सुनवाई में वर्चुअल रूप से जुड़े क्योंकि केवल मास्क पहनना पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को ‘बहुत गंभीर’ बताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं से पूछा कि जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है तो शारीरिक रूप से क्यों उपस्थित हुए?
वर्चुअल सुनवाई सुविधा का लाभ उठाएं – सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने वरिष्ठ वकीलों को तीखे लहजे में सबोधित करते हुए कहा “आप सभी यहां क्यों उपस्थित हैं? हमारे पास वर्चुअल सुनवाई की सुविधा है। कृपया इसका लाभ उठाएं। प्रदूषण – इससे स्थायी नुकसान होगा।”
उन्होंने आगे कहा “मास्क काफी नहीं हैं। यह पर्याप्त नहीं है। हम मुख्य न्यायाधीश के साथ भी चर्चा करेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार खराब और बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है। गुरुवार, 13 सितंबर को भी सुबह धुंध की मोटी चादर छाई रही और वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी रही।
वायु गुणवत्ता की गंभीर श्रेणी स्वस्थ व्यक्तियों को भी प्रभावित करती है। वहीं, श्वास रोग और हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए ज्यादा समस्या हो सकती है।
राजधानी दिल्ली समेत नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम में भी वायु गुणवत्ता काफी खराब रही है। प्रदूषण की घनी परतों के कारण इमारतें और सड़कें मुश्किल से दिखाई दे रही हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीएक्यूएम) के डेटा के मुताबिक, गुरुवार सुबह 8 बजे बवाना का वायु गुणवत्ता सूचकांक 460 दर्ज किया गया जबकि द्वारका में सबसे कम 216 दर्ज किया गया।
अलग-अलग स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक
डेटा के मुताबिक, कई महत्वपूर्ण स्टेशनों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक चेतावनी भरा रहा। इसके मुताबिक, आनंद विहार में 431, चांदनी चौक में 455, अशोक विहार में 348, नॉर्थ कैंपस डीयू में 414, द्वारका सेक्टर 8 में 400, आईटीओ में 438, मुंडका में 438, नरेला में 432 और रोहिणी में 447 दर्ज किया गया।
इससे पहले बुधवार, 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने को लेकर हरियाणा और पंजाब सरकार से विस्तृत डेटा जमा करने की बात कही थी कि पराली जलाने पर रोक को लेकर सरकारों द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं? क्योंकि दिल्ली की हवा लगातार खराब हो रही है।
इस दौरान सरकारों की ओर से उपस्थित हुए प्रतिनिधियों को एक सप्ताह के अंदर मौजूदा प्रासंगिक डेटा जुटाकर देने का निर्देश दिया गया था।
गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में दीवाली के बाद से वायु गुणवत्ता खराब रही है। हर साल इसी समय वायु गुणवत्ता खराब रहती है। इसकी एक वजह किसानों द्वारा पराली जलाया जाना भी बताई जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली से पहले ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी।
दिल्ली में वायु प्रदूषण को देखते हुए एम्स के वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ ने हाल ही में सक्षम लोगों को दिल्ली छोड़ने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि जो लोग सक्षम हैं वो दिसंबर के मध्य तक दिल्ली से बाहर रह सकते हैं।

