नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गुरुवार को जेट एयरवेज के परिसमापन (Liquidation) का आदेश दिया है, जिससे कंपनी को फिर से चालू करने की योजना को बड़ा झटका लगा है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने भारतीय स्टेट बैंक और अन्य कर्जदारों की अपील को मंजूर करते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें जेट एयरवेज को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को सौंपने की मंजूरी दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने जेकेसी की योजना को खारिज करते हुए कंपनी के परिसमापन का रास्ता अपनाने का निर्देश दिया। इस फैसले से जेट एयरवेज की दोबारा शुरू किए जाने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं।
अब कंपनी का परिसमापन किया जाएगा। परिसमापन का सामान्य भाषा में मतलब होता है कि कंपनी की सारी संपत्ति बेचकर उसके पैसे से कर्ज को चुकाना।
बता दें कि जेट एयरवेज के 1.48 लाख रिटेल निवेशकों के पैसे कंपनी के शेयर में फंसे हुए हैं। रिटेल निवेशकों के पास कंपनी में लगभग 20 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसकी वैल्यू करीब 75 करोड़ रुपए है।
जेट एयरवेज का मौजूदा बाजार पूंजीकरण 386.69 करोड़ रुपए है। इसके दूसरे बड़े हिस्सेदार एतिहाद एयरवेज के पास 24 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि 25 फीसदी हिस्सेदारी प्रमोटर्स के पास है।
सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के समाधान योजना के खिलाफ ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार करते हुए (जेकेसी) द्वारा लगाए गए 200 करोड़ रुपए को जब्त करने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने 150 करोड़ रुपए की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी (पीबीजी) को नकदी में बदलने की इजाजत भी दी।
कर्जदारों ने एनसीएलएटी के फैसले को चुनौती दी थी
दरअसल, एसबीआई और अन्य कर्जदारों ने एनसीएलएटी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इन कर्जदारों का कहना था कि जेकेसी द्वारा किए गए वादे पूरे नहीं किए गए और समाधान योजना में कई शर्तों का पालन नहीं किया गया।
इसके बाद कोर्ट ने जेकेसी की योजना को खारिज कर दिया और कहा कि जेट एयरवेज का परिसमापन ही सबसे अच्छा विकल्प है।
क्या था जेकेसी का प्रस्ताव?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जेकेसी को साल 2021 में जेट एयरवेज की फिर से शुरुआत के लिए सफल समाधान आवेदक चुना गया था। इसके तहत जेकेसी को जेट एयरवेज के फिर से खड़ा करने के लिए 4783 करोड़ रुपए का भुगतान करना था।
इसमें से 350 करोड़ रुपए की पहली किश्त भी तय की गई थी। लेकिन जेकेसी ने 350 करोड़ रुपए की पहली किश्त को बैंक गारंटी के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश की, जो कि कोर्ट के आदेश के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेकेसी की योजना अब लागू नहीं हो सकती, इसलिए कंपनी का परिसमापन किया जाए।
कोर्ट ने मुंबई स्थित नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) को निर्देश दिया कि वह तुरंत एक परिसमापक नियुक्त करे, जो जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचकर कर्जों का भुगतान करे। यह कदम कर्जदारों और कर्मचारियों के हित में लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए यह फैसला लिया। इस अनुच्छेद के तहत कोर्ट किसी भी मामले में निष्पक्ष और अंतिम न्याय देने का अधिकार रखता है।
जेट एयरवेज का संकट
जेट एयरवेज को वित्तीय संकट के चलते साल 2019 में एसबीआई द्वारा एनसीएलटी में डाला गया था। इसके बाद से कंपनी पर समाधान योजना और कर्जदारों के बीच विवाद चलता आ रहा था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जेट एयरवेज के परिसमापन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिससे कर्जदारों को उनका पैसा मिल सकेगा।