Wednesday, November 19, 2025
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‘बच्चों को गैस चैंबर में डाल रहे’, प्रदूषण के बीच खेल गतिविधियों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

बढ़ते प्रदूषण स्तर के बावजूद दिल्ली में खेल गतिविधियों को जारी रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती जताते हुए कहा कि बच्चों को गैस चैंबर में डाल रहे हैं।

नई दिल्लीः दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 19 नवंबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से खेल गतिविधियों को लेकर निर्देश जारी करने को कहा है। अदालत ने कहा कि इन्हें प्रदूषण से सुरक्षित महीनों में आयोजित किया जाए। अदालत ने कहा कि नवंबर और दिसंबर के दौरान जब प्रदूषण चरण पर होता है। ऐसे में यह ‘बच्चों को गैस चैंबर में डालने के समान है।’

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने यह आदेश तब दिया जब न्यायमित्र अपराजिता सिंह ने अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार ने इन दो महीनों के दौरान जब वायु गुणवत्ता सबसे खराब होती है तो अंडर-16 और अंडर-14 छात्रों के लिए अंतर-क्षेत्रीय खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की हैं।

एमिकस क्यूरी ने क्या बताया?

उन्होंने (अपराजिता) ने आगे कहा कि बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं और प्रदूषण के चरम मौसम में बाहरी खेल गतिविधियां आयोजित करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीएक्यूएम को दिया गया यह हालिया निर्देश उस आदेश के दो हफ्ते बाद आया है जब अदालत ने निगरानी निकाय से हलफनामा दाखिल करने को कहा था। इसमें दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को और अधिक बढ़ने से रोकने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का विवरण दिया गया हो।

उस दौरान पीठ ने कहा था कि प्राधिकारियों को सक्रियता से काम करना चाहिए और प्रदूषण के ‘गंभीर’ स्तर तक पहुंचने का इंतजार नहीं करना चाहिए।

बीते सप्ताह दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में पहुंच गया था। न्यायमित्र ने 12 नवंबर को अदालत को बताया कि प्रदूषण के स्तर में निरंतर गिरावट के खिलाफ प्रवर्तन और नीतिगत कार्रवाई के ठोस कदम की आवश्यकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

ऐसे में परिस्थिति न बदलने पर चिंता व्यक्त करते हुए अपराजिता ने पीठ से आज हुई सुनवाई के दौरान कहा कि “मैं इस मामले को 20 सालों से देख रही हूं। सरकारें आईं और गईं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ बदलाव नहीं हुआ है।”

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने हालांकि अपनी तरफ से कहा कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली में कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निर्माण धूल, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन और अन्य प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सीएक्यूएम और सीपीसीबी दोनों ने कई आदेश जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

उन्होंने बताया कि सैद्धांतिक उपाय पहले से ही लागू हैं केवल इनका कार्यान्वयन ही मुद्दा है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि दीर्घकालिक नीतियां 2018 से और ग्रैप ढांचा 2020 से मौजूद है।

वहीं, न्यायमित्र ने बताया कि ये योजनाएं केवल कागजों पर अच्छी लगती हैं क्योंकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में पर्याप्त कर्मचारियों की कमी है और निगरानी प्रणालियां मानवरहित हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार दीर्घकालिक नीति पर काम कर रही है लेकिन उन्होंने सहमति व्यक्त की कि इसकी निगरानी जरूरी है। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने साप्ताहिक स्थिति रिपोर्ट का सुझाव दिया लेकिन सीजेआई ने कहा कि हरित पीठ महीने में केवल 2-3 बैठकें ही करती है ऐसे में इस मामले पर मासिक आधार पर विचार करना चाहिए।

न्यायमित्र ने आगे कहा कि बार-बार आदेश देने के बावजूद राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में नियुक्तियां लंबित हैं जो जमीनी स्तर पर कमजोर मंशा को दर्शाता है। इस बीच दिल्ली में सभी गतिविधियां रोकने के सुझाव का जिक्र करते हुए सीजेआई ने कहा कि ऐसा करने से हम सभी को दिल्ली छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा।

अमरेन्द्र यादव
अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...
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