Thursday, October 16, 2025
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कांग्रेस ने बजट में ग्रामीणों की आजीविका के प्रति उदासीन होने का लगाया आरोप

नई दिल्लीः कांग्रेस ने रविवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के बजट को स्थिर रखने पर सवाल उठाए और कहा कि इस महत्वपूर्ण सुरक्षा योजना की उपेक्षा सरकार की ग्रामीण आजीविका के प्रति उदासीनता को उजागर करती है।

मनरेगा के लिए बजट आवंटन इस साल 86,000 करोड़ रुपये रखा गया है, जो पिछले साल के समान है। वित्त वर्ष 2023-24 में इस योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन अतिरिक्त धनराशि प्रदान की गई और वास्तविक खर्च 89,153.71 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मनरेगा के लिए कोई अतिरिक्त आवंटन नहीं किया गया है।

जयराम रमेश ने मनरेगा बजट को लेकर क्या कहा?

कांग्रेस के संचार प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश ने एक पोस्ट में कहा कि ग्रामीण संकट बढ़ने के बावजूद, सरकार ने मनरेगा का बजट 86,000 करोड़ रुपये पर स्थिर रखा है, जो वास्तविक (मूल्य वृद्धि के अनुसार समायोजित) आवंटनों में कमी को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “ऊपर से चोट पर नमक छिड़कने के लिए, अनुमान बताते हैं कि बजट का लगभग 20 प्रतिशत पिछले वर्षों के बकाए को चुकता करने में जा रहा है।”

जयराम रमेश ने आगे कहा, इससे मनरेगा की पहुंच में कमी आती है, जिससे सूखा प्रभावित और गरीब ग्रामीण श्रमिकों को संकट में डाल दिया जाता है। यह मजदूरी में किसी भी वृद्धि को भी रोकता है।

उन्होंने कहा, “वर्तमान वित्तीय वर्ष में भी न्यूनतम औसत मजदूरी दर में केवल 7 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। यह उस समय में है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस प्रकार मनरेगा वेतन स्थिरता के राष्ट्रीय संकट का केंद्र बिंदु बन चुका है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि इस महत्वपूर्ण सुरक्षा तंत्र के प्रति सरकार की उपेक्षा, ग्रामीण आजीविका के प्रति उसकी उदासीनता को उजागर करती है।

क्या है मनरेगा

मनरेगा के तहत हर घर के कम से कम एक सदस्य को वित्तीय वर्ष में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाता है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं। इसमें महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई रोजगार उपलब्ध होते हैं। पिछले बजट दस्तावेजों के अनुसार, कोविड महामारी के वर्ष 2020-21 में जब लॉकडाउन अवधि में भारी रिवर्स माइग्रेशन के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा एक जीवन रेखा साबित हुई, तो इस योजना पर 1,11,169 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

 

अनिल शर्मा
अनिल शर्माhttp://bolebharat.com
दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में उच्च शिक्षा। 2015 में 'लाइव इंडिया' से इस पेशे में कदम रखा। इसके बाद जनसत्ता और लोकमत जैसे मीडिया संस्थानों में काम करने का अवसर मिला। अब 'बोले भारत' के साथ सफर जारी है...
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