जम्मू: पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कठुआ जिले में 'श्रीलंकाई क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन को मुफ्त में जमीन आवंटित किए जाने' को लेकर बड़ा विवाद हुआ। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राजस्व मंत्री जावेद अहमद डार ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और वे इसे देखेंगे।
इस बीच मुरलीधरन की कंपनी ने पहले ही विवादित जमीन को सरेंडर कर दिया है, जिससे जम्मू-कश्मीर के लिए संभावित रूप से 1600 करोड़ रुपये के निवेश का नुकसान हो सकता है। आखिर ये पूरा विवाद क्या है, इसे समझते हैं।
मुथैया मुरलीधरन को जमीन आवंटित, क्या है विवाद?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कुलगाम से पांच बार के सीपीआई(एम) विधायक एमवाई तारिगामी ने मुरलीधरन का नाम लिए बिना विधानसभा में कहा कि 'एक श्रीलंकाई क्रिकेटर को जम्मू-कश्मीर में जमीन आवंटित की गई है।' उन्होंने पूछा कि ऐसा कैसे किया गया जबकि 'स्थानीय लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत घर बनाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है।'
इस मुद्दे पर उनके साथ डूरू से तीन बार के कांग्रेस विधायक जी ए मीर भी जुड़ गए। उन्होंने राज्य सरकार से पूछा कि एक गैर-भारतीय क्रिकेटर को जम्मू-कश्मीर में जमीन कैसे आवंटित की गई। उन्होंने इसे गंभीर मुद्दा बताया।
जिस जमीन को लेकर विवाद हुआ, यह कठुआ जिले के भागथली औद्योगिक एस्टेट में है।
जम्मू-कश्मीर औद्योगिक भूमि आवंटन नीति: कौन ले सकता है जमीन?
इंडियन पार्टनरशिप एक्ट-1932 के तहत कोई भी व्यक्ति या समूह, या कंपनी अधिनियम- 2013, या सीमित देयता भागीदारी अधिनियम (एएलपी)- 2008, या कॉर्पोरेट संस्थान, या आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 2(31) के तहत हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), या किसी भी अधिनियम के तहत शामिल निकाय इसके पात्र हैं। भूमि औद्योगिक उद्यम/इकाई स्थापित करने के लिए आवंटित की जाती है, और आवेदन जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किया जाना होता है।
मुरलीधरन को आवंटित हुई थी जमीन?
1 जून, 2024 को जम्मू-कश्मीर राज्य औद्योगिक विकास निगम (SIDCO) द्वारा सीलोन बेवरेजेज कैन प्राइवेट लिमिटेड को कुल 206 कनाल (25.75 एकड़) भूमि आवंटित की गई थी। यानी ये मुरलीधरन को सीधे तौर पर आवंटित नहीं हुई थी। यह जरूर है कि जिस फर्म को जमीन अलॉट हुई है, मुरलीधरन उसके तीन निदेशकों में से एक हैं।
सीलोन बेवरेजेज को एक निजी लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल किया गया था और 11 जनवरी, 2023 को रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC), चेन्नई के साथ पंजीकृत किया गया था। इसके अन्य दो निदेशक निथ्या राममूर्ति और मुथैया शशिधरन हैं, जिनके नाम कंपनी के निदेशक मंडल की सूची में पहले और तीसरे स्थान पर हैं।
क्या मुफ्त में अलॉट की गई जमीन?
सिडको ने 16 जून, 2024 को लीज डीड जारी की। इससे पहले कंपनी ने 16.48 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान किया। कंपनी को एल्युमिनियम पेय पदार्थ के डिब्बे और पीईटी (पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट) बोतलों और डिब्बों में पेय पदार्थ भरने के लिए एक इकाई स्थापित करनी थी। इससे 950 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार की संभावना थी और 1642.75 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित था।
यूटी की शीर्ष स्तरीय भूमि आवंटन समिति ने 15 मार्च, 2024 को योग्यता सूची के आधार पर भूमि के आवंटन को मंजूरी दी थी, और आपत्तियां भी आमंत्रित करते हुए इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा था।
जमीन आवंटन के लिए मेरिट प्रति कनाल प्रस्तावित निवेश के आधार पर और साथ ही संयंत्र में प्रति कनाल रोजगार सृजन की संभावना के आधार पर निश्चित किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार 22 आवेदकों में से सीलोन बेवरेजेज को मेरिट के क्रम में पहला स्थान मिला। इसने प्रति कनाल 7.975 करोड़ रुपये के निवेश और प्रति कनाल 4.612 कर्मचारियों की रोजगार क्षमता का प्रस्ताव दिया था। सबसे कम रैंक वाले मामले में प्रति कनाल 2.035 करोड़ रुपये का निवेश और प्रति कनाल 0.463 कर्मचारियों की रोजगार क्षमता थी।
मामले में अभी ताजा स्थिति क्या है?
सामने आई जानकारी के अनुसार कंपनी ने यूनिट के पंजीकरण के लिए कोडल औपचारिकताओं को पूरा करने में देरी के मद्देनजर 6 मार्च को जम्मू-कश्मीर SIDCO को जमीन सौंप दी थी। जम्मू-कश्मीर औद्योगिक भूमि आवंटन नीति के अनुसार यदि कोई लीज डीड के निष्पादन के बाद दो वर्ष के भीतर ही भूमि सरेंडर करता है, तो आवंटन रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही सरेंडर करने वाली पार्टी को भुगतान की गई राशि का 80 प्रतिशत वापस कर दिया जाएगा।