Patna: Leader of Opposition in the Bihar Assembly, Tejashwi Yadav, speaks to the media outside the Bihar Assembly in Patna on Tuesday, November 26, 2024. (Photo: IANS)
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पटना: चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के पाकिस्तान नहीं जाने के फैसले पर जारी विवाद के बीच अब इस पर राजनीतिक बयान आने लगे हैं।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार से खेल को राजनीति से दूर रखने को कहा है। पूर्व में क्रिकेटर रह चुके तेजस्वी यादव ने पूछा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान का दौरा कर सकते हैं तो भारतीय टीम टूर्नामेंट के लिए सीमा पार क्यों नहीं जा सकती।
तेजस्वी यादव ने कहा, 'खेलों में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्हें (पाकिस्तान) हमारे देश में आना चाहिए, और हमारे खिलाड़ियों को भी वहां जाना चाहिए। खेलों में क्या समस्या है? ऐसा नहीं है कि खेलों में कोई युद्ध हो रहा है। भारत को क्यों नहीं जाना चाहिए पाकिस्तान? अगर पीएम मोदी बिरयानी खाने के लिए पाकिस्तान जा सकते हैं, तो यह अच्छी बात है, लेकिन अगर भारतीय टीम खेलने के लिए पाकिस्तान जाती है, तो इसे गलत माना जाता है। यह सोचने का सही तरीका नहीं है।'
तेजस्वी का बयान दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2015 में अचानक हुए लाहौर दौरे को लेकर है। पीएम मोदी तब उस समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ की बेटी की शादी की बधाई देने के लिए पहुंचे थे।
चैम्पियंस ट्रॉफी पर संशय बरकरार
इस बीच आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान जाने से भारत के इनकार ने टूर्नामेंट के भविष्य को संदेह में डाल रखा है। भारत ने अपने मैचों के लिए एक हाइब्रिड मॉडल का प्रस्ताव दिया है, जिसमें पाकिस्तान से बार किसी और जगह पर भारत अपने मैच खेल सकता है। हालाँकि, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इससे इनकार किया है। वहीं, आईसीसी ने गतिरोध खत्म करने के लिए शुक्रवार को एक अहम बोर्ड बैठक बुलाई है।
दूसरी ओर तेजस्वी यादव से इतर तृणमूल सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेलेंगे... वे आतंकवादी भेजते रहेंगे और हम उनके साथ क्रिकेट नहीं खेलेंगे।'
भारतीय क्रिकेट टीम ने आखिरी बार 2008 में पाकिस्तान का दौरा किया था, जब टीम ने एशिया कप में भाग लिया था। वहीं, पाकिस्तान ने आखिरी बार 2012-13 में भारत में द्विपक्षीय श्रृंखला खेली थी। हालाँकि, तब से राजनीतिक संबंधों में गिरावट के कारण दोनों पक्ष केवल आईसीसी टूर्नामेंटों में ही एक-दूसरे का सामना करते रहे हैं।