शीतल देवी- भारत की बिना हाथ वाली तीरंदाज, पेरिस पैरालंपिक में नजरें गोल्ड मेडल पर

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शीतल देवी- भारत की बिना हाथ वाली तीरंदाज, पेरिस पैरालंपिक में नजरें गोल्ड मेडल पर

New Delhi : Indian Para-archer Sheetal Devi during the unveiling of book 'Being You: Against all Odds' (File Photo- IANS)

नई दिल्ली: पैरालंपिक खेल-2024 की शुरुआत होने जा रही है। यह खेल 28 अगस्त से 8 सितंबर तक चलेंगे। भारत ने भी पैरालंपिक खेलों के लिए अपना दल भेजा है। खास बात ये है कि भारत ने इस बार पैरालंपिक खेलों के लिए अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा है। इनमें शीतल देवी सहित 84 खिलाड़ी शामिल हैं। अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित शीतल देवी का यह पहला पैरालंपिक है और भारतीय फैंस को उनसे मेडल की उम्मीद है।

पेरिस पैरालंपिक- चार हजार से ज्यादा खिलाड़ी

पैरालंपिक खेलों का आयोजन हर साल ओलंपिक खेलों बाद किया जाता है। इस बार के खेलों में 22 अलग-अलग प्रतियोगिताओं में दुनिया भर के चार हजार से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। यह सभी खिलाड़ी ब्लाइंड फुटबॉल से लेकर, पैरा तीरंदाजी, पैरा एथलेटिक्स, पैरा साइक्लिंग, पैरा पावरलिफ्टिंग, पैरा तैराकी सहित कई खेलों में 549 गोल्ड मेडल के लिए मुकाबला करेंगे।

भारत की बात करें तो इससे पहले टोक्यो में हुए ओलंपिक खेल-2021 में 54 खिलाड़ी पहुंचे थे। भारत इस बार यानी पेरिस पैरालंपिक में 12 अलग-अलग प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा ले रहा है। टोक्यो में भारत ने पैरालंपिक में 19 मेडल जीते थे और यह उसका पैरालंपिक में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा। भारत टोक्यो पैरालंपिक की पदल तालिका में 24वें स्थान पर रहा था। भारत ने तब 5 गोल्ड मेडल, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल जीते थे।

भारत का प्रदर्शन पिछले साल 2022 के पैरा एशियन गेम्स में भी शानदार रहा था। भारत ने रिकॉर्ड 111 मेडल अपने नाम किए थे और चीन, ईरान, जापान, दक्षिण कोरिया के बाद पांचवें स्थान पर रहा था। पैरा एशियन गेम्स के बाद से ही एक नाम चर्चा में है- शीतल देवी।

शीतल देवी से क्यों है मेडल की उम्मीद?

भारत को पैरालंपिक खेल में अपनी आर्मलेस तीरंदाज शीतल देवी से काफी उम्मीद है। यह शीतल देवी का पहला पैरालंपिक इवेंट होगा। पैरालंपिक 28 अगस्त को शुरू होने जा रहे हैं। पैरा तीरंदाजी में मेडल इवेंट 31 अगस्त को होगा। शीतल 2023 विश्व चैंपियनशिप और 2022 एशियाई पैरा खेलों में अपने असाधारण प्रदर्शन के बाद चर्चा में आईं हैं, जहां उन्होंने स्वर्ण पदक जीते थे। उनकी साथी खिलाड़ी सरिता और राकेश कुमार मिक्स्ड टीम इवेंट में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रहे हैं। यह जोड़ी मौजूदा विश्व चैंपियन और 2022 एशियाई पैरा खेल की विजेता हैं।

शीतल देवी- बिना हाथ वाली पहली तीरंदाज

शीतल देवी 17 साल की हैं और जम्मू से आती हैं। उनके दोनों हाथ नहीं हैं और वे सबकुछ अपने पैरों और जबड़े से करती हैं। व्हील चेयर पर बैठकर वे तीरंदाजी के दौरान दाहिने पैरों से अपना धनुष उठाती हैं। दाएं कंधे का सहारा लेकर उसमें तीर भरती हैं और फिर जबड़े से डोर पकड़कर जबर्दस्त एकाग्रता के साथ अपने लक्ष्य पर निशाना साधते हुए उसे खींच देती हैं। यही शीतल देवी का कौशल है।

शीतल का जन्म फोकोमेलिया (phocomelia) नाम के दुर्लभ विकार के साथ हुआ और आज वे बिना हाथों के प्रतिस्पर्धा करने वाली दुनिया की पहली और एकमात्र सक्रिय महिला तीरंदाज हैं। शीतल देवी वर्तमान में कंपाउंड ओपन महिला वर्ग में दुनिया में रैंकिंग में पहले स्थान पर हैं। इस स्पर्धा में निशाना करीब 50 मीटर दूर होता है। ऐसे में सिर्फ पैरों से डोरी खींच कर तीर को इतनी दूर तक सटीकता से पहुंचाना एक मुश्किल काम है।

15 साल की उम्र से शुरू हुआ तीरंदाजी का सफर

शीतल 2023 में पैरा-तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने में सफल रहीं। इसी की वजह से वे पेरिस पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई कर सकीं। पेरिस में उन्हें दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी जेन कार्ला गोगेल और एकल इवेंट में मौजूदा विश्व चैम्पियनशिप विजेता ओजनूर क्योर सहित अन्य तीरंदाजों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार हालांकि, जो लोग शीतल को करीब से जानते हैं, उनका कहना है कि उसकी किस्मत में यह खेल खेलना और जीतना लिखा था। शीतल देवी के दो राष्ट्रीय कोचों में से एक अभिलाषा चौधरी कहती हैं, 'शीतल ने तीरंदाजी नहीं चुनी, तीरंदाजी ने शीतल को चुना।'

दिलचस्प ये भी है कि एक छोटे से गाँव में एक किसान परिवार में जन्मी शीतल देवी ने 15 साल की उम्र तक धनुष-बाण नहीं देखा था। उनकी जिंदगी में लेकिन दिलचस्प मोड़ 2022 में आया जब एक परिचित की सिफारिश पर वे घर से लगभग 200 किमी दूर जम्मू के कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड खेल परिसर पहुंचीं।

यहीं उनकी मुलाकात अभिलाषा चौधरी और उनके दूसरे कोच कुलदीप वेदवान से हुई, जिन्होंने उन्हें तीरंदाजी की दुनिया से परिचित कराया। देवी बताती हैं कि उनके पैरों में ऐसी ताकत उन्हें इसका लगातार इस्तेमाल कई अन्य कामों के लिए करने से आई। इसमें पैरों से लिखने और अपने दोस्तों के साथ पेड़ों पर चढ़ने सहित कई गतिविधियों शामिल हैं। तीरंदाजी को लेकर शीतल कहती हैं, 'मुझे पहले लगा कि यह असंभव है। मेरे पैरों में बहुत दर्द होता था लेकिन किसी तरह मैंने इसे ठीक कर लिया।'

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