सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह की सड़क हादसे में मौत, 100 साल की उम्र में बनाया था विश्व रिकॉर्ड

फौजा सिंह 2011 में, 100 वर्ष की आयु में 2011 टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन पूरी करके पूर्ण मैराथन पूरी करने वाले सबसे वृद्ध व्यक्ति बने। फौजा सिंह को "टर्बन्ड टॉरनेडो" (Turbaned Tornado) के नाम से भी जाना जाता था।

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फौजा सिंह (तस्वीर में बाएं तरफ) Photograph: (IANS)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पंजाब में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए 114 वर्षीय मैराथन धावक फौजा सिंह को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, 'फौजा सिंह जी अपने अद्वितीय व्यक्तित्व और फिटनेस जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भारत के युवाओं को प्रेरित करने के तरीके के कारण असाधारण थे। वह अविश्वसनीय दृढ़ संकल्प वाले एक असाधारण एथलीट थे। उनके निधन से बहुत दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और दुनिया भर में उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं।'

1 अप्रैल, 1911 को जन्मे सिंह अपने युवा दिनों में एक शौकिया धावक थे, लेकिन बाद में उन्होंने इसे छोड़ दिया था। अगस्त 1994 में अपने पाँचवें बेटे, कुलदीप सिंह की मृत्यु के बाद उन्होंने शोक से उबरने के लिए फिर से दौड़ना शुरू किया। उस समय वे 83 साल के थे।

हालाँकि, 2000 में जब 89 वर्षीय फौजा सिंह ने दौड़ को गंभीरता से लेना शुरू किया। उन्होंने उसी वर्ष लंदन मैराथन पूरी की और दुनियाभर में चर्चा में आए। अक्टूबर 2011 में, 100 वर्ष की आयु में 2011 टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन पूरी करके वे पूर्ण मैराथन पूरी करने वाले सबसे वृद्ध व्यक्ति बने। ब्रिटिश नागरिक, सिंह को "टर्बन्ड टॉरनेडो" (Turbaned Tornado) के नाम से भी जाना जाता था।

फौजा सिंह को कार ने मार दी थी टक्कर

फौजा सिंह सोमवार सुबह सैर पर गए थे, तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसे के बाद कार चालक मौके से फरार हो गया। गंभीर रूप से घायल फौजा सिंह को तुरंत जालंधर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान देर रात उनकी मौत हो गई। 

हादसे की सूचना मिलते ही जालंधर पुलिस ने जांच शुरू कर दी। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और फरार चालक की तलाश के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगालने के साथ-साथ प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की।

फौजा सिंह का जन्म पंजाब के जालंधर स्थित ब्यास पिंड में हुआ था। चार भाई-बहनों में सबसे छोटे फौजा बचपन में शारीरिक रूप से कमजोर थे और पांच साल की उम्र तक चल नहीं पाते थे। लेकिन उन्होंने असाधारण इच्छाशक्ति से इस कमी को अपनी ताकत बनाया। 

1992 में पत्नी के निधन के बाद फौजा बेटे के पास लंदन चले गए। वहां उन्होंने अपने दौड़ने के जुनून को फिर से जीवंत किया। नियमित अभ्यास और अटूट समर्पण के बल पर उन्होंने 100 वर्ष की आयु में साल 2011 में टोरंटो मैराथन को 8 घंटे, 11 मिनट और 6 सेकंड में पूरा कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। वह दुनिया के पहले 100 वर्षीय मैराथन धावक बने, जिसने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई।

(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)

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