नई दिल्ली: क्रिकेट को लेकर पिछले कुछ वर्षों से गेंदबाजों से ज्यादा बल्लेबाजों का खेल बनने की बातें होने लगी हैं। खासकर टी20 की शुरुआत और इसकी लगातार बढ़ती लोकप्रियता ने इन बातों को और बल दिया। टीमें अब 20-20 ओवरों के मैच में 300 रनों के करीब तक पहुंचने लगी हैं। इस बीच बीसीसीआई ने गेंदबाजों और बल्लेबाजों के बीच संतुलन के लिए एक तरीका अपनाना शुरू किया है।

आईपीएल के पिछले कुछ मैचों से बल्लेबाजों की बैट चेक की जाने लगी है।  अब लगभग हर आईपीएल बल्लेबाज को गार्ड लेने से पहले बल्ले को एक गेज (बैट चेक करने का एक उपकरण) से गुजारना होगा। फोर्थ अंपायर मैदान में प्रवेश करने से पहले सलामी बल्लेबाजों के बल्ले की जाँच करेगा। इसके बाद हर आने वाले बल्लेबाज को मैदानी अंपायर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले "बैट गेज" से अपना बल्ला चेक कराना होगा। 

ज्यादा बड़ी बैट इस्तेमाल करने के आरोप

आईपीएल में यह नया कदम बल्लेबाजों द्वारा 'ओवरसाइज्ड' बल्ले का इस्तेमाल करने के कई मामलों के सामने आने के बाद उठाया गया है। अभी तक आईपीएल में ऐसे बल्लेबाजों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है, लेकिन इंग्लिश काउंटी सर्किट में पिछले साल नॉटिंघमशायर के ऐसे ही एक मामले में अंक काटे गए थे। 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार आईपीएल के चेयरमैन अरुण धूमल ने कहा कि मैदान पर निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा, 'किसी को भी यह नहीं लगना चाहिए कि किसी को अनुचित लाभ मिला है।'

धूमल ने कहा, 'बीसीसीआई और आईपीएल ने हमेशा इस दिशा में सभी पहल किए हैं ताकि खेल की निष्पक्षता बनी रहे। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का अधिकतम उपयोग किया है कि सभी निर्णयों की समीक्षा की जा सके और खेल पर अनुचित प्रभाव न पड़े। इस पहल के पीछे का विचार यह सुनिश्चित करना है कि खेल की भावना बनी रहे।' 

क्या होता है गेज और बैट को लेकर नियम?

गेज त्रिकोण के आकार का होता है। यह प्लास्टिक का बना होता है, जिस पर नियमों के अनुरूप वाले बल्ले कैसे होने चाहिए, इसकी जानकारी छपी होती है। इसे बैट पर लगाकर उसकी वैधता चेक की जाती है। नियमों के अनुसार बल्ले की डेप्थ 2.68 इंच, चौड़ाई 4.33 इंच, किनारे 1.61 इंच मोटे होने चाहिए। ऐसे ही बल्ले के निचले नॉन-हिटिंग साइड (पीछे का हिस्सा) पर दिखने वाला कर्व या उभार 0.20 इंच के भीतर होना चाहिए। बैट की लंबाई 38 इंच होनी चाहिए। साथ ही नियम है कि बैट लकड़ी का होना चाहिए।

Bat checking
Photograph: (screengrab)

इस सीजन से पहले मैच के दिन बैट की चेकिंग नहीं की जाती थी। अधिकारी मैच से एक दिन पहले इसकी चेकिंग करते थे। लेकिन इस प्रणाली में एक स्पष्ट खामी थी, कुछ बल्लेबाज खेल के लिए अलग बल्ले के साथ आते थे।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार बड़े आकार के बल्ले से खेल चुके एक अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाज ने कहा, 'वे बल्ले के निचले हिस्से को बड़ा बनाते हैं क्योंकि यह बल्ले का वह क्षेत्र है जहाँ बल्लेबाज गेंद से संपर्क बनाने की कोशिश करते हैं। बैट के नीचले हिस्से में जिसे 'स्वीट स्पॉट' कहा जाता है, वहां ज्यादा लकड़ी और हैंडल के पास कम लकड़ी होने से स्ट्रोक को ज्यादा ताकत मिलती है।'

ऐसी पहली गेंद से ही छक्के मारने के लिए जाने जाने वाले बल्लेबाज मोटे किनारों वाले बल्ले पसंद करते हैं। इसका मतलब यह है कि वे जो गेंदें गलती से किनारे लगती हैं, वे भी बाउंड्री के पार चली जाती हैं। हालांकि अब मैदान पर कड़ी जांच के साथ अधिकारियों को उम्मीद है कि कोई भी बल्लेबाज जानबूझकर बड़े आकार का अवैध बल्ला लेकर नहीं जाएगा।