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नई दिल्ली: भारत सरकार अपनी टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स-TOPS) में बदलाव करने पर विचार कर रही है। इसके तहत ओलंपिक एथलीटों को सरकार द्वारा मिलने वाली सहायता राशि पर रोक लगाने पर विचार किया जा रहा है। यह दावा इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में मिशन ओलंपिक सेल (एमओसी-MOC) की एक बैठक में चर्चा हुई है जिसमें एथलीटों के लिए सख्त मानदंडों पर बहस हुई है। मौजूदा दौर में 300 एथलीटों को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के तहत सरकार से वित्त सहायता मिल रही है।
रिपोर्ट में दावा है कि नए नियम आने के बाद एथलीटों की यह संख्या आधी हो सकती है। यही नहीं एक एथलीट मैडल पाने के लिए कितना करीब पहुंच सकता है, इस आधार पर भी सहायता राशि को तय किया जाएगा। हालांकि इसे लेकर अभी केवल चर्चा ही हो रही है, इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
बता दें कि सरकार द्वारा इस तरह के कदम तब उठाने का दावा किया जा रही है जब भारतीय खिलाड़ियों ने हाल में खत्म हुए पेरिस ओलंपिक में उम्मीद से कम मेडल जीते हैं। इस खेल में एथलीटों ने केवल छह पदक जीते थे जिसमें एक रजत और पांच कांस्य पदक शामिल है।
मिशन ओलंपिक सेल की बैठक में और क्या चर्चा हुई है
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाल में एमओसी की एक बैठक में पूर्व एथलीट, कोच और सरकारी अफसर ने हिस्सा लिया था। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है कि स्कीम में शामिल होने वाले एथलीटों के लिए तय किए गए मानकों का स्तर बढ़ाया जाए जिसमें एथलीटों की संख्या को कम करना भी शामिल था।
बैठक में शामिल पूर्व खिलाड़ियों ने इस तरह के मानकों से असहमति जताई है और कहा है कि इससे कई खिलाड़ियों पर असर पड़ेगा और वे बाहर हो जाएंगे। टॉप्स स्कीम के तहत एथलीटों को कई तरह के सुविधा मिलती है जिसमें कस्टमाइज ट्रेनिंग प्रोग्राम सहित परसनल कोच भी शामिल है जो दूसरे स्कीम में नहीं मिलती है।
ऐसे में टॉप्स में बदलाव के दावों को लेकर कई अधिकारियों का मानना है कि इससे मुक्केबाजी, कुश्ती और शूटिंग जैसे खेलों के एथलीटों के संशोधित मानकों को पूरा करने में विफल रहने पर वे इस सुविधा से दूर हो सकते हैं।
हालांकि मीटिंग में स्कीम की फंडिंग को कम करने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। लेकिन आने वाले ओलंपिक में एथलीटों की जवाबदेही को नए सिरे से तय करने पर जोर दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि रिपोर्ट में पेरिस ओलंपिक में शामिल एथलीटों द्वारा लगभग 10 करोड़ रुपए के पुराने बिल को अब तक सेटल नहीं किए जाने की बात सामने आई है।
केवल ये एथलीट ही नहीं बल्कि रिटायर हो चुके खिलाड़ियों ने भी अपना खर्चा वाला शीट अब तक पेश नहीं किया है। इस कारण स्कीम में अधिक वित्तीय पारदर्शिता और ट्रैकिंग जैसी मांगें उठने लगी है।
एशियन गेम्स के लिए अलग स्कीम लाने का दावा
पेरिस ओलंपिक में एथलीटों के प्रदर्शन पर बोलते हुए भारत के दिग्गज बैडमिंटन एथलीट प्रकाश पादुकोण ने दावा किया था कि खिलाड़ियों को ज्यादा सपोर्ट मिलने के कारण शायद हमें ज्यादा मेडल नहीं मिल पाया है। उनका कहना था कि इन सपोर्ट के कारण उनके अंदर मेडल पाने की भूख शायद कम हो गई थी।
इससे पहले इस बात की भी खूब चर्चा हुई थी कि एशियन गेम्स के लिए एक अलग से पोडियम स्कीम को तैयार किया जाना चाहिए। ऐसे में इन चर्चाओं के मद्देनजर विभिन्न आयोजनों में प्रतिस्पर्धा के विभिन्न स्तरों को संबोधित करने के लिए एमओसी द्वारा एक समान कार्यक्रम को शुरू करने पर भी विचार किया जा रहा है।
इसे टारगेट एशियन गेम्स पोडियम स्कीम नाम दिया गया है। इसमें उन एथलीटों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो एशियाई खेलों में पदक जीतने में सक्षम हैं लेकिन अभी तक ओलंपिक के दावेदार नहीं हैं।