पेरिस: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी है। इस खेल में भारतीय शॉटपुट खिलाड़ी होकाटो होतोजे सेमा ने कांस्य पदक जीता है।

होकाटो ने शनिवार को पुरुषों की शॉटपुट एफ57 स्पर्धा के फाइनल में 14.65 मीटर की थ्रो के साथ भारत के लिए कांस्य पदक हासिल किया, जो उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। यह उनका पहला पैरालंपिक था।

इस इवेंट में ईरान के याशिन खोसरावी ने 15.96 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता है, जबकि ब्राजील के थियागो पॉलिनो डॉस सैंटोस ने 15.06 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता है।

भारत की कुल पदक तालिका अब 27 हो गई है, जिसमें 6 स्वर्ण पदक, 9 रजत पदक और 12 कांस्य पदक शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कांस्य पदक जीतने पर होकाटो होतोजे सेमा को बधाई दी और खेल के प्रति उनके दृढ़ संकल्प की सराहना की है।

यह उपलब्धि पैरालंपिक में भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को दर्शाती है, जिसने टोक्यो 2020 पैरालंपिक में जीते गए पांच स्वर्ण पदकों को पीछे छोड़ दिया है।

पीएम मोदी ने होकाटो की दी बधाई

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' अकाउंट पर पैरालंपियन की उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए इसे देश के लिए 'गर्व का क्षण' बताया है। पीएम मोदी ने पोस्ट में लिखा, "हमारे देश के लिए यह गर्व का क्षण है। होकाटो ने पुरुषों की शॉटपुट एफ57 में कांस्य पदक जीता है! उनकी अविश्वसनीय ताकत और दृढ़ संकल्प असाधारण है। उन्हें बधाई। आगे के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।"

गृह मंत्री अमित शाह ने भी पैरालंपियन की उपलब्धि की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी है। गृह मंत्री ने अपने 'एक्स' अकाउंट पर लिखा, "होकाटो सेमा ने पैरालंपिक 2024 में पुरुषों की शॉट पुट एफ57 स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। आपके अटूट प्रयास और शानदार प्रदर्शन ने देश को गौरवान्वित किया है।"

होकाटो ने शॉटपुट को कैसे चुना

अक्टूबर 2002 में जम्मू-कश्मीर के चौकीबल में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान हवलदार होकाटो होटोझे सेमा ने एक पैर गवां दी थी। अचानक हुए विस्फोट में होकाटो गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिसके बाद उनके बाएं पैर को काटना पड़ा था।

40 साल के होकाटो बहुत पहले से स्पेशल फोर्स में शामिल होना चाहते थे लेकिन हादसे के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए। हादसे के बाद कई लोगों को लगा कि अब होकाटो कुछ नहीं कर पाएंगे और उनका पूरा जीवन ऐसे ही बीतने वाला है।

सेना के अधिकारी ने होकाटो के हुनर को पहचाना

लेकिन होकाटो को पुणे के आर्मी पैरालिंपिक नोड, बीईजी सेंटर में उन्हें एक नई जिदंगी मिली और यहां से वे एक सफल शॉटपुट खिलाड़ी बनने में कामयाब हुए हैं।

दरअसल, पुणे के आर्मी पैरालिंपिक नोड में एक बड़े अधिकारी ने होकाटो के हुनर को पहचाना था और उन्हें शॉटपुट में अपना करियर बनाने की सलाह दी थी। इसके बाद से होकाटो शॉटपुट खेल को समझने और इसे खेलने में जुट गए थे।

साल 2022 में मिली पहली अंतराष्ट्रीय सफलता

32 साल की उम्र में होकाटो साल 2016 से पैरा-एथलेटिक्स के तौर पर अपनी खेल की यात्रा शुरू की थी। साल 2016 में होकाटो ने राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए उन्होंनेन जयपुर की भी यात्रा की थी।

होकाटो को पहली अंतराष्ट्रीय और महत्वपूर्ण सफलता साल 2022 में मोरक्को ग्रैंड प्रिक्स में मिली थी जब वे इस खेल में रजत पदक जीते थे। उसके बाद उन्होंने हांग्जो में एशियाई पैरा खेलों में कांस्य पदक जीता था।

कौन हैं हवलदार होकाटो होटोझे सेमा

हवलदार होकाटो होटोझे सेमा नागालैंड के निवासी हैं। उनका जन्म 24 दिसंबर 1983 को एक साधारण से परिवार में हुआ था। उनके पिता एक किसान हैं जिनके चार बच्चे हैं। होकाटो अपनी माता-पिता के दूसरे संतान हैं।

दावा है कि होकाटो केवल 17 साल की उम्र में ही सेना शामिल हुए थे। वे भारतीय सेना में नौ असम रेजिमेंट में हवलदार के पद पर तैनात थे। उनके कोच का नाम राकेश रावत है जिससे वे काफी ट्रेनिंग भी लिए थे।

मौजूदा दौर में उन्हें ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट नामक एक खेल एनजीओ द्वारा मदद की जाती है। होकाटो को खेलो इंडिया पहल द्वारा समर्थन मिला है जिसने उन्हें राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoE) योजना के तहत रहने, खाने और ट्रेनिंग जैसे अन्य संसाधन प्रदान किए गए हैं।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ