नई दिल्ली: भारतीय शतरंज के लिए 28 जुलाई का दिन एक और ऐतिहासिक क्षण लेकर आया। 19 साल की दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया के बटुमी में हुए फाइनल के रैपिड टाईब्रेक में भारत की शीर्ष रैंकिंग वाली खिलाड़ी और मौजूदा विश्व रैपिड चैंपियन कोनेरू हम्पी को हराकर FIDE महिला विश्व कप का खिताब अपने नाम कर लिया।
टूर्नामेंट की शुरुआत में 15वें स्थान पर रहीं दिव्या ने इस टूर्नामेंट में कई शीर्ष प्रतिद्वंद्वियों को मात देते हुए शानदार प्रदर्शन किया। खिताबी मुकाबले में उनके सामने भारत की ही सबसे प्रतिष्ठित दिग्गजों में से एक कोनेरू हम्पी थी, जिन्हें दिव्या ने मात दी।
फाइनल में क्लासिकल गेम ड्रॉ रहे, जिससे मैच रैपिड टाईब्रेकर में पहुँच गया था। पहले गेम में दिव्या सफेद मोहरों से खेल रही थी, और यह बराबरी पर छूटा। लेकिन दूसरे गेम में काले मोहरों के साथ खेलते हुए दिव्या ने शानदार ढंग से अपना संयम बनाए रखा। भारी दबाव में 38 वर्षीय हम्पी ने अंतिम गेम में कई गलतियाँ कीं। दिव्या ने मौके का फायदा उठाया और आत्मविश्वास के साथ अपनी बढ़त को भुनाते हुए यादगार जीत दर्ज की।
🇮🇳 Divya Deshmukh defeats Humpy Koneru 🇮🇳 to win the 2025 FIDE Women's World Cup 🏆#FIDEWorldCup@DivyaDeshmukh05pic.twitter.com/KzO2MlC0FC
— International Chess Federation (@FIDE_chess) July 28, 2025
इस जीत के साथ, दिव्या ने न केवल विश्व कप जीता, बल्कि अपना फाइनल ग्रैंडमास्टर नॉर्म भी हासिल किया और आधिकारिक तौर पर ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने में कामयाब रही। वह यह सम्मान हासिल करने वाली चौथी भारतीय महिला और 88वीं भारतीय बन गई हैं।
इस विश्व कप को जीतना दिव्या के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ और भारतीय शतरंज के लिए भी गर्व का दिन है। मात्र 19 वर्ष की उम्र में, उन्होंने इतिहास रचा है और साथ ही खुद को वैश्विक शतरंज में भविष्य की ताकत के रूप में स्थापित कर लिया है।