RTI के दायरे में आएगा BCCI, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक संसद में पेश...जानिए क्या कुछ प्रावधान हैं इस बिल में?

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के अधिनियम बनने के बाद BCCI सूचना के अधिकार के तहत आएगा। बीसीसीआई वित्तीय रूप से स्वतंत्र है। इस विधेयक का उद्देश्य खेल संघों के प्रशासन में पारदर्शिता लाना है।

BCCI TO COME UNDER RTI ACT WHAT IS NATIONAL SPORTS GOVERNANCE BILL 2025

BCCI आरटीआई के अंतर्गत आएगा। Photograph: (सोशल मीडिया - एक्स (https://x.com/BCCI/photo))

नई दिल्लीः भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) वैसे तो वित्तीय रूप से स्वतंत्र है। लेकिन सरकार के नए विधेयक जिसका नाम राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक है। इस विधेयक के आने के बाद अब बीसीआई को राष्ट्रीय खेल बोर्ड से मान्यता लेनी होगी।

राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का उद्देश्य भारतीय खेल प्रशासन में पारदर्शिता लाना है। इसके साथ ही जवाबदेही तय करना भी इसका उद्देश्य है। खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसे पेश किया है। संसद में इस विधेयक को लेकर हंगामा हो गया है। 

RTI के तहत आएंगे सभी खेल संघ

इस विधेयक का एक महत्वपूर्ण बिंदु सभी राष्ट्रीय खेल निकायों को सूचना के अधिकार के तहत लाना है। इसमें बीसीसीआई भी शामिल होगा। इस विधेयक को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। इसके साथ ही विरोध का सामना करना पड़ा है। हालांकि यह बिल लोकसभा में बुधवार को पेश होना है और इस पर चर्चा होगी। 

यूपीए शासनकाल के दौरान भी यह विधेयक अजय माकन द्वारा लाया गया था। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के भीतर ही विरोध के चलते यह प्रयास विफल हो गया था। 

यदि यह विधेयक पास होने के बाद अधिनियम बन जाता है तो अन्य राष्ट्रीय खेल संघों की तरह बीसीसीआई भी इसके दायरे में आएगा। भारतीय टीम 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों में भाग लेगी। ऐसे में इस अधिनियम के बनने के बाद तो बीसीसीआई एक राष्ट्रीय खेल महासंघ के अंतर्गत आएगा। 

विधेयक का क्या है उद्देश्य?

सीएनएन न्यूज-18 ने इस विधेयक की प्रक्रिया में शामिल एक सूत्र के हवाले से लिखा "बीसीसीआई को इस प्रस्ताव पर सहमत करना आसान नहीं था लेकिन उनका सहयोग सुनिश्चित करने के लिए सांसदों और बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों के बीच व्यापक चर्चा हुई। "

उन्होंने आगे कहा "सरकार का इरादा स्पष्ट हैः देश के सभी खेल संघों में जवाबदेही और पारदर्शिता लाना।"

विधेयक के प्रावधानों के तहत एथलीट भी नीति-निर्माण के केंद्र में होंगे। विधेयक के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय ओलंपिक समिति और राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति सहित प्रत्येक राष्ट्रीय खेल महासंघ को एथलीट समितियां बनानी होंगी। इनकी कार्यकारी समिति में दो उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ियों को भी शामिल करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा कार्यकारी समिति में चार महिलाओं की उपस्थिति भी अनिवार्य की गई है। इससे खेल प्रशासन में लैंगिक समानता को भी बढ़ावा मिलेगा।

राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण के गठन का प्रस्ताव

खेल से संबंधित कानूनी विवादों को हल करने के लिए राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण के गठन का प्रस्ताव है। अगर किसी महासंघ की मान्यता समाप्त होती है या फिर निलंबित किया जाता है तो ऐसी स्थिति में एक तदर्थ प्रशासनिक निकाय स्थापित करने का अधिकार देता है। 

इस विधेयक का उद्देश्य कानूनी स्पष्टता, लैंगिक समानता, खिलाड़ियों के सशक्तिकरण और बेहतर सार्वजनिक निगरानी के साथ-साथ कई संरचनात्मक बदलाव लाना है जिससे खेल तंत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आ सकता है। 

भारतीय खेल क्षेत्र लंबे समय से कुप्रबंधन, खेल संघों में अपारदर्शी चुनावों और खिलाड़ियों के खराब प्रतिनिधित्व जैसे विवादों से घिरा है। विभिन्न संघों के खिलाफ करीब 350 से अधिक मुकदमे अदालतों में लंबित हैं। इसको लेकर न्यायपालिका भी लगातार सरकार से एक व्यापक प्रशासनिक ढांचे के लिए कानून बनाने का आग्रह करती रही है।

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