सियोंगनामः दक्षिण कोरिया ने आर्म्ड फोर्सेज डे के अवसर पर मंगलवार को पहली बार अपनी सबसे शक्तिशाली ‘मॉन्स्टर’ मिसाइल, को सार्वजनिक प्रदर्शन किया। यह उत्तर कोरिया की परमाणु और मिसाइल धमकियों के बीच सोल की प्योंगयांग को स्पष्ट चेतावनी है।
योनहाप समाचार एजेंसी ने बताया कि राजधानी के दक्षिण में सियोल एयर बेस पर आयोजित एक समारोह में दो मोबाइल मिसाइल लॉन्चर, ‘ह्यूनमू-5’ ले जा रहे थे। यह मिसाइल उत्तर कोरिया के बड़े हमले की सूरत में दक्षिण कोरिया की जवाबी कार्रवाई की योजना का मुख्य हिस्सा है। यह सैन्य उपकरण राजधानी के दक्षिण में सियोल एयर बेस पर प्रदर्शित किए गए।
‘मॉन्स्टर’ मिसाइल क्या है?
जमीन से जमीन पर मार करने वाली इस बैलिस्टिक मिसाइल को इसके आकार के कारण ‘मॉन्स्टर’ कहा जाता है। इसे सामरिक महत्व के कारण गोपनीयता में रखा गया था। यह लगभग 8 टन वजन का वारहेड ले जाने में सक्षम है और अंडरग्राउंड बंकरों को नष्ट करने में सक्षम है। दक्षिण कोरिया ने ‘ह्यूनमू’ मिसाइलों की एक सीरीज डेवलप की है। इसमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें शामिल हैं।
पिछले साल आर्म्ड फोर्सेज डे समारोह में ‘ह्यूनमू-4’ को शामिल किया गया था। हालांकि, यह मिसाइल ‘ह्यूनमू-5’ की तुलना में केवल दो टन का पेलोड ही ले जा सकती है।
उत्तर कोरिया ने पिछले कुछ समय से अपनी कई गतिविधियों से कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ा दिया है। इसमें प्योंगयांग द्वारा यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी का खुलासा, हथियारों की लगातार टेस्टिंग, कठोर बयानबाजी और दक्षिण कोरिया में कचरे से भरे गुब्बारे छोड़ने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
हाल ही में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपणों और परमाणु प्रोग्राम की निंदा की। उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप के ‘पूर्ण’ परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
चौथे व्यक्तिगत क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद इन चारों नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया। इसमें उत्तर कोरिया की गतिविधियों को लेकर चिंता जाहिर की गई। क्वाड समिट अमेरिका में डेलावेयर के विलमिंगटन में आयोजित हुई थी।
नेताओं ने ‘विलमिंगटन डिक्लेरेशन’ में कहा, “हम उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अनेक प्रस्तावों (यूएनएससीआर) का उल्लंघन करते हुए परमाणु हथियारों को पाने की निरंतर कोशिश की निंदा करते हैं। ये प्रक्षेपण अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा हैं।”
–आईएएनएस