जम्मू: भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा सोशल मीडिया गतिविधि में तेजी से वृद्धि की जानकारी दी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी के विशलेषण में यह पता चला है कि पिछले एक महीने में (यानी अक्टूबर और नवंबर के बीच) पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकवादी समूहों से संबंधित खातों से करीब दो हजार ‘चिंताजनक’ और भारत विरोधी पोस्ट किए गए हैं।
पिछले साल इन दो महीनों में इस तरह के पोस्टों की संख्या केवल 89 थी। ये पोस्ट फेसबुक, एक्स और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और डार्क वेब पर देखे गए हैं। एजेंसी का कहना है कि इस तरह के पोस्ट का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देना है।
एजेंसी का दावा है कि इस तरह से सोशल मीडिया पोस्टों में अचानक आई तेजी यह दर्शाती है कि आतंकी स्थानीय युवाओं की भर्ती को लेकर काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक महीने में किए गए करीब 2,016 आपत्तिजनक पोस्टों में से 130 से अधिक आतंकवाद से संबंधित और भारत विरोधी पोस्ट थी।
इन पोस्टों में 33 ऐसे पोस्ट थी जो अलगाववाद से जुड़े हुए थे और 310 ऐसे पोस्ट थे जिसमें भारत के बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक स्थानों जैसे स्कूलों आदि को उड़ाने की धमकियां दी गई थी।
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने क्या कहा है
रिपोर्ट में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जम्मू-कश्मीर में युवाओं को प्रभावित करने, उन्हें कट्टरपंथी बनाने और समूह में शामिल करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।
इन सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए युवाओं के ब्रेन को वॉश कर और उन्हें राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जिस तरीके से हाल में पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा सोशल मीडिया अभियान तेज किए गए हैं, इससे आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की याद ताजा होती है।
वानी के दौर में भी सोशल मीडिया अभियान के जरिए युवाओं के ब्रेन को वॉश कर उन्हें संगठन में शामिल किया जाता है। सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में साल 2016 में वानी की मौत हो गई थी। उसकी मौत से पहले वह स्थानीय युवाओं के बीच एक आइकन बन गया था। बुरहान वानी की मौत के बाद आतंकी भर्ती में कमी देखी गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस साल केवल चार युवा ही आतंकी ग्रुप में शामिल हुए हैं। इन युवाओं में दो शोपियां से और एक श्रीनगर और एक त्राल से भर्ती हुए थे। वहीं अगर बात करें साल 2022 की तो उस समय 113 और साल 2023 में केवल 22 युवा आतंकी ग्रुप में शामिल हुए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में वर्तमान में केवल 30 स्थानीय आतंकवादी मौजूद हैं जबकि बाहर से आए आतंकियों की संख्या 75 से 80 है।
सोशल मीडिया के जरिए स्थानीय युवाओं की भर्ती को अधिकारी कम समय जैसे सर्दियों के लिए होने वाली भर्ती के रूप में नहीं देख रहे हैं बल्कि उनका दावा है कि यह भर्ती अगले साल गर्मियों के लिए की जा रही है।
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आतंकी संगठनों में युवाओं की भर्ती हुई कम
हाल के कुछ सालों में जिस तरीके से स्थानीय छात्रों की भर्ती में कमी आई है, इससे सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए सख्स कदम से जोड़कर देखा जा रहा है। यही नहीं सरकार ने आतंकवाद से जुड़े पूरे इको सिस्टम को खत्म करने की कोशिश की है जिससे उनकी फंडिंग और इन-डायरेक्ट तरीके से उन्हें मिलने वाला समर्थन भी बंद हुआ है।
हाल में जम्मू कश्मीर में चुनाव हुआ है और वहां पर साल 2019 के बाद पहली बार कोई सरकार बनी है। रिपोर्ट में सोशल मीडिया पोस्टों के इजाफा को इससे भी जोड़तकर देखा जा रहा है।
यही नहीं एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या जम्मू और कश्मीर में फिर से सरकार बनने पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों का हौसला बढ़ा है और वे घाटी के युवाओं को भर्ती के लिए इस तरह के कदम उठा रहे हैं। हाल में जम्मू कश्मीर में ड्रोन की गतिविधियों में इजाफा देखा गया है जो पिछले साल 31 थी और वह अब अक्टूबर तक 40 है।