नई दिल्ली: हालिया अध्ययन में यह दावा किया गया है कि संशोधित स्टेम सेल्स स्ट्रोक सर्वाइवर्स की रिकवरी में सहायक हो सकते हैं। इस अध्ययन के अनुसार, स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बहाल करने के लिए स्टेम सेल थेरेपी प्रभावी हो सकती है।

स्ट्रोक के सबसे आम प्रकार को इस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है, जिसमें जीवित बचे हुए व्यक्तियों में से केवल 5 प्रतिशत ही पूरी तरह से ठीक हो पाते हैं। स्ट्रोक के मरीजों को आमतौर पर कमजोरी, पुराने दर्द, मिर्गी और अन्य कई समस्याओं से लंबे समय तक जूझना पड़ता है, जो उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं।

ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट का शोध और स्टेम सेल थेरेपी

ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने अपने शोध के आधार पर बताया कि स्टेम सेल से प्राप्त कोशिकाओं की थेरेपी स्ट्रोक के बाद मस्तिष्क की गतिविधि के सामान्य पैटर्न को बहाल करने में मदद कर सकती है। अधिकांश उपचार तभी प्रभावी होते हैं, जब उन्हें स्ट्रोक के तुरंत बाद लागू किया जाए।

चूहों पर प्रयोग और सफल परिणाम

इस शोध को चूहों पर परीक्षण किया गया, और एक महीने बाद परिणामों में सुधार देखा गया। यह शोध मॉलिक्यूलर थेरेपी पत्रिका में प्रकाशित किया गया, जो मस्तिष्क की गतिविधि पर स्टेम सेल के प्रभाव पर किया गया पहला अध्ययन है। इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि स्टेम सेल थेरेपी से रिकवरी में सुधार संभव है।

स्टेम सेल थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल और प्रयोग

नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चूहों में स्टेम सेल थेरेपी का परीक्षण किया, जो स्ट्रोक और ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी के इलाज के लिए एक दशक से अधिक समय से क्लिनिकल ट्रायल पर है। प्रारंभिक क्लिनिकल ट्रायल से संकेत मिले हैं कि स्टेम सेल थेरेपी कुछ रोगियों को उनके हाथों और पैरों पर नियंत्रण पाने में मदद कर सकती है।

संशोधित स्टेम सेल्स का मस्तिष्क में प्रभाव

जीन पाज के नेतृत्व में शोधकर्ता टीम ने स्ट्रोक के एक महीने बाद, चूहों के मस्तिष्क में संशोधित मानव स्टेम कोशिकाओं को इंजेक्ट किया। इस प्रयोग में मस्तिष्क की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी का माप लिया गया और व्यक्तिगत कोशिकाओं और अणुओं का विश्लेषण भी किया गया। इस उपचार ने मस्तिष्क में महत्वपूर्ण प्रोटीन और कोशिकाओं की संख्या भी बढ़ाई, जो मस्तिष्क के कार्य और मरम्मत के लिए जरूरी हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि स्टेम सेल थेरेपी स्ट्रोक से मस्तिष्क की रिकवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, और आगे के अनुसंधान से इस थेरेपी के प्रभावी उपयोग की दिशा में नई उम्मीदें जगाई जा सकती हैं।

(यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)