यूट्यूब भारत में सख्त नियम लागू करेगा, गंभीर ‘क्लिकबेट’ टाइटल और थम्बनेल वाले वीडियो होंगे डिलीट

यूट्यूब इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा। शुरुआत में, भ्रामक कंटेंट वाले वीडियो को हटाया जाएगा, लेकिन क्रिएटरों के चैनलों पर स्ट्राइक नहीं दी जाएगी।

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यूट्यूब इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा। फोटोः pexels

नई दिल्लीः वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब (YouTube) ने भारत में ऐसे कंटेंट और थम्बनेल के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है, जो दर्शकों को गुमराह करते हैं। कंपनी का कहना है कि वह ऐसे कंटेंट (गंभीर क्लिकबेट) पर रोक लगाएगी, जो वादा किए गए विषय पर जानकारी देने में विफल रहते हैं। खासकर ब्रेकिंग न्यूज और वर्तमान घटनाओं जैसे संवेदनशील विषयों पर भ्रामक वीडियो का प्रसार रोकने पर जोर दिया जाएगा।

क्यों उठाया गया यह कदम?

यूट्यूब पर अक्सर ऐसे वीडियो देखे जाते हैं, जिनके शीर्षक और थम्बनेल दर्शकों को आकर्षित करने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन असल में उनमें कोई सटीक जानकारी नहीं होती। जैसे:"ब्रेकिंग न्यूज'', ''राष्ट्रपति ने दिया इस्तीफा" जैसे शीर्षक वाले वीडियो। जिनका असल कंटेंट कुछ और होता है और लोगों को आकर्षित करने के लिए वे ऐसे थम्बनेल क्रिएट करते हैं।

यूट्यूब ने कहा, "ऐसे वीडियो दर्शकों को भ्रमित और ठगा हुआ महसूस कराते हैं, खासकर जब वे समय-सीमा वाली या महत्वपूर्ण जानकारी के लिए इस प्लेटफॉर्म का रुख करते हैं।"

कैसे लागू होंगे नए नियम?

यूट्यूब इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा। शुरुआत में, भ्रामक कंटेंट वाले वीडियो को हटाया जाएगा, लेकिन क्रिएटरों के चैनलों पर स्ट्राइक नहीं दी जाएगी। यूट्यूब का मुख्य फोकस नए अपलोड किए गए वीडियो पर रहेगा, जबकि पुराने कंटेंट पर यह नियम बाद में लागू किया जाएगा। क्रिएटरों को अपने कंटेंट को नए दिशानिर्देशों के अनुसार ढालने का समय दिया जाएगा।

कौन से वीडियो आएंगे निशाने पर?

वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म ने स्पष्ट किया है कि ऐसे वीडियो पर कार्रवाई की जाएगी जिनमें बड़े राजनीतिक घटनाक्रम का दावा किया जाता है, लेकिन कंटेंट में ऐसा कुछ न हीं होता है। ऐसे थम्बनेल वाले कंटेंट भी निशाने पर होंगे जो सनसनीखेज समाचार का संकेत देते हों, लेकिन वीडियो में वैसा कुछ भी नहीं होता। यह नीति खासतौर पर उन मामलों पर लागू होगी, जहां वीडियो के प्रचार और असली कंटेंट के बीच स्पष्ट अंतर हो। यूट्यूब ने अपने Google India ब्लॉग पोस्ट में कहा, कंपनी का मानना है कि भ्रामक कंटेंट न केवल दर्शकों का समय खराब करता है, बल्कि उनके विश्वास को भी ठेस पहुंचाता है।

यूट्यूब ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह नीति राजनीतिक और सरकारी खबरों के अलावा खेल और अन्य क्षेत्रों पर भी लागू होगी या नहीं। साथ ही, यह भी नहीं बताया गया है कि थम्बनेल, शीर्षक और वीडियो कंटेंट के बीच विसंगतियों का पता लगाने के लिए किस प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।

क्रिएटरों के लिए AI टूल्स, क्या होगा इसका काम?

यूट्यूब ने क्रिएटिव आर्टिस्ट्स एजेंसी (CAA) के साथ साझेदारी की है। यह साझेदारी क्रिएटर्स और आर्टिस्ट्स को AI द्वारा उत्पन्न सामग्री पर अधिक नियंत्रण प्रदान करेगी। इस पहल के तहत ऐसे टूल्स विकसित किए जा रहे हैं, जो क्रिएटरों को यह पहचानने और प्रबंधित करने में मदद करेंगे कि उनकी छवि का उपयोग कहां और कैसे हो रहा है।

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