श्रीहरिकोटाः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का ईओएस-09 मिशन तीसरे चरण में चूक गया। इसकी जानकारी इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने दी। इसे पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी-सी61) से लॉन्च किया गया था, जो कुछ ही मिनटों में असफल हो गया।
आधिकारिक एक्स पोस्ट में बताया गया कि रविवार को 101वां प्रक्षेपण प्रयास किया गया, पीएसएलवी-सी61 का प्रदर्शन दूसरे चरण तक सामान्य रहा। तीसरे चरण में तकनीकी खामी पेश आई जिससे वो चूक गया।
क्यों फेल हुआ EOS-09 मिशन?
यह पीएसएलवी का 63वां मिशन और पीएसएलवी-एक्सएल वर्जन की 27वीं उड़ान थी। इस मिशन से पहले इसरो के पीएसएलवी ने अब तक कई सफल लॉन्च पूरे किए थे। ईओएस-09 में लंबी अवधि का फ्यूल भी था, जिससे मिशन समाप्त होने के बाद इसे सुरक्षित तरीके से अंतरिक्ष से हटाया जा सके। इस मिशन का उद्देश्य एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellite - EOS-09) को कक्षा में स्थापित करना था।
हालांकि, उड़ान के दौरान रॉकेट के तीसरे चरण (third stage) में एक गंभीर तकनीकी गड़बड़ी आ गई, जिसके कारण उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में नहीं पहुंचाया जा सका। इस तीसरे चरण में ठोस ईंधन का इस्तेमाल होता है और यह मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यही चरण पेलोड को अंतिम कक्षा के निकट पहुंचाता है।
इसकी जानकारी देते हुए इसरो प्रमुख डॉ. वी नारायणन ने कहा कि पीएसएलवी के चार चरणों में से पहले दो चरणों का प्रदर्शन सामान्य रहा, लेकिन तीसरे चरण में तकनीकी खामी के कारण मिशन को पूरा नहीं किया जा सका।
वी नारायण ने आगे कहा कि मोटर केस के चेंबर प्रेशर में गिरावट दर्ज की गई, जिसके चलते मिशन को पूरा नहीं किया जा सका। हम पूरी उड़ान और टेलीमेट्री डेटा की समीक्षा कर रहे हैं और जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे। उन्होंने कहा, हम विश्लेषण के बाद वापसी करेंगे।
#WATCH श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश | इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा, "आज हमने PSLV-C61 के प्रक्षेपण का प्रयास किया। इसमें 4 चरण होते हैं। पहले 2 चरणों में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन रहा। तीसरे चरण के दौरान हमने अवलोकन देखा... मिशन पूरा नहीं हो सका। हम संपूर्ण प्रदर्शन का अध्ययन कर… pic.twitter.com/9Kln16428j
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 18, 2025
इसरो ने रविवार सुबह 5:59 बजे ईओएस-09 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया था। ईओएस-09 को सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाना था, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते सैटेलाइट को उसकी निर्धारित कक्षा में नहीं पहुंचाया जा सका।
इसरो ने कहा है कि एक फेल्योर एनालिसिस कमेटी बनाई जा रही है, जो उड़ान के दौरान प्राप्त तकनीकी डेटा और टेलीमेट्री की गहराई से जांच करेगी ताकि सटीक कारणों का पता लगाया जा सके और भविष्य के मिशनों में सुधार किया जा सके।
हालांकि इस असफलता से इसरो को तात्कालिक झटका जरूर लगा है। क्योंकि पीएसएलवी का अब तक का रिकॉर्ड उल्लेखनीय रहा है। यह भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में भी एक विश्वसनीय लॉन्च वाहन के रूप में अपनी जगह बनाए हुए है।
PSLV का ट्रैक रिकॉर्ड
PSLV को दुनिया के सबसे भरोसेमंद लॉन्च वाहनों में माना जाता है और 1993 में अपनी पहली उड़ान के बाद से इसकी असफलताएं बेहद कम रही हैं। हालांकि, इसकी पहली उड़ान में एक प्रोग्रामिंग गलती और रेट्रो-रॉकेट की विफलता के कारण दूसरे और तीसरे चरण के बीच सही ढंग से पृथक्करण नहीं हो पाया, जिससे मिशन असफल हो गया। इसके बाद 2017 में एक और विफलता सामने आई, जब रॉकेट का पेलोड फेयरिंग—यानी उपग्रह को ढकने वाला ऊपरी आवरण—समय पर अलग नहीं हो सका, जिसके कारण उपग्रह रॉकेट के भीतर ही फंसा रह गया और कक्षा में स्थापित नहीं हो पाया।
EOS-09 Satellite के बारे में
ईओएस-09 एक एडवांस पृथ्वी ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जिसमें सी-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह सैटेलाइट किसी भी मौसम और दिन-रात में धरती की सतह की हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीर लेने में सक्षम है। यह कृषि, वन क्षेत्र प्रबंधन, आपदा प्रबंधन और रक्षा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।