एआई क्षेत्र में जबरदस्त कौशल और क्षमता के बावजूद भारत क्यों पिछड़ रहा है अन्य देशों से, जानें चुनौतियां और ताजा हालात

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Why India lagging behind other countries despite tremendous skills potential in AI ​​field know challenges latest situation

एआई (फोटो- IANS)

पूरी दुनिया पर एआई का प्रभाव काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिसका असर भारत में भी देखने को मिल रहा है। टेक में दुनिया के अन्य देशों की बराबरी करने वाला भारत एआई से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

पूरी दुनिया में एआई सिखाने वाले देशों में भारत नंबर एक पर है और एआई एक्सपर्ट की नियुक्तियों में दुनिया के चार बड़े देशों में से एक है। इन सब उपलब्धियों के बावजूद भारत कई मामलों में काफी पीछे है। इस कारण इसे इस क्षेत्र में उन्नति करने के लिए काफी समय लग सकता है।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अन्य देश जैसे अमेरिका के मुकाबले भारत एआई प्रोजेक्ट में ज्यादा निवेश नहीं कर रहा है और न ही नए एआई विचारों के लिए वह ज्यादा पेटेंट को रजिस्टर कर रहा है।

भारत ने एआई पर साल 2013 से 2023 के बीच नौ बिलियन डॉलर (900 करोड़) का निवेश किया है, वहीं इसी समय अमेरिका ने 335 बिलियन डॉलर (33,500 करोड़) का निवेश किया है। केवल निवेश ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र में कुछ अन्य समस्या भी है जिसे फिलहाल भारत झेल रहा है।

भारत में एआई निवेश पर क्या बोला गूगल का पूर्व कर्मचारी

गूगल के पूर्व स्टाफ गौरव अग्रवाल ने कहा कि भारत में एआई की चर्चा तो बहुत है, लेकिन इसमें निवेश करने वालों की संख्या बहुत कम है। उन्होंने यह बयान इंडिया टुडे से बातचीत में दिया है।

भारत में खुद की एक एआई कंपनी शुरू की चाह रखने वाले गौरव का मानना है कि यहां पर डीप एआई के लिए धन जुटाना काफी मुश्किल है। उन्होने आरोप लगाया कि देश के निवेशक सरल एआई परियोजनाओं में निवेश करने के लिए तैयार है और उन्हें फंड भी मिल जा रहा है लेकिन डीप एआई परियोजनाओं में कोई पैसा नहीं लगा रहा है। वे भी एक डीप एआई परियोजना बनाने की चाह रख रहे हैं।

गौरव ने बताया कि भारतीय स्टार्टअप में डीप एआई कैशल की कमी है और वे खुद का एआई सिस्टम न बनाकर पश्चिम के मौजूदा एआई टूल पर निर्भर हैं और उनकी सहायता से एआई क्षेत्र में विकसित कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर यही हाल रहा तो हम जिस तरह से विदेशों से तेल निर्यात करते हैं,हमें वहां से एआई की सेवाओं को भी खरीदनी पड़ जाएगी। उनका कहना है कि भारतीय निवेशक सुरक्षित दांव और जल्दी रिटर्न को ज्यादा पसंद करते हैं और वे डीप एआई में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

भारत के लिए क्या बोले गौरव

गूगल के पूर्व स्टाफ ने कहा कि वे भारतीय भाषाओं के लिए एक बेहतर एआई टूल बनाना चाहते हैं जिससे एआई को भारतीयों के लिए अधिक किफायती और सटीक बनाया जा सके। यही नहीं उनका यह भी मानना ​​है कि भारत को पश्चिम पर निर्भर रहने के बजाय उन्हें अपनी खुद की एआई क्षमताओं पर ध्यान देने की जरूरत है।

भारत छोड़ अमेरिका चले गए हैं कई एआई एक्सपर्ट्स

एआई क्षेत्र में निवेश में कमी के बाद भारत प्रतिभाशाली एआई एक्सपर्ट्स की कमी को भी झेल रहा है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, हाल के कुछ सालों में भारत के कई प्रतिभाशाली एआई एक्सपर्ट्स देश छोड़ चुके हैं और वे बेहतर अवसर के लिए अमेरिका में शिफ्ट हो गए हैं। एआई क्षेत्र में एक्सपर्ट्स द्वारा देश छोड़ने से भारत के लिए यह एक चुनौती बन गई है।

एआई को लेकर कितना गंभीर है भारत

बता दें कि पिछले कुछ समय से भारत एआई को लेकर काफी गंभीर है। वहीं साल 2021 में भारत में जहां एआई स्टार्टअप की संख्या काफी कम थी वहीं साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 60 हो गई थी। यही नहीं केवल एक साल में इन एआई स्टार्टअप की फंडिग भी 560 मिलियन डॉलर (56 करोड़) तक पहुंच गई है।

भारत स्वास्थ्य सेवा और वित्त जैसे क्षेत्रों में एआई का केंद्र बनता जा रहा है। जानकारों का मानना है कि भारत को केवल बड़ी कंपनियों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए एआई को सुलभ और किफायती बनाने पर जोर देना चाहिए जिससे समाज के हर वर्ग को फायदा पहुंच सके।

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