लेह में अंतरिक्ष का अहसास करेंगे वैज्ञानिक! क्या है इसरो का एनालॉग मिशन?

इसरो ने लेह में अपने पहले एनालॉग अंतरिक्ष मिशन शुरू करने की घोषणा की है। मिशन के जरिए अंतरिक्ष में रहने लायक उचित माहौल का पता लगाए जाएगा।

एडिट
लेह में अंतरिक्ष का अहसास करेंगे वैज्ञानिक! क्या है इसरो का एनालॉग मिशन?

फोटो- इसरो, ट्विटर

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लद्दाख के लेह में अपने पहले एनालॉग अंतरिक्ष मिशन शुरू करने की घोषणा की है। यह इसरो की ऐतिहासिक पहल है। इस मिशन का उद्देश्य एक ऐसे बेस स्टेशन की स्थापना करना है जो हमारे ग्रह यानी धरती से परे अंतरिक्ष में किसी और स्थिति में रहने, इससे जुड़ी जटिलताओं को समझना है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में इसरो ने कहा, 'भारत का पहला एनालॉग अंतरिक्ष मिशन लेह में शुरू हुआ!' यह मिशन एक सहयोगात्मक प्रयास है जिसमें ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर, इसरो, एएकेए स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आईआईटी बॉम्बे शामिल है और इसे लद्दाख ऑटोनेमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल ने समर्थन दिया है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना अंतरिक्ष वातावरण में रहने और काम करने की चुनौतियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगी।'

क्यों है इसरो का एनालॉग मिशन अहम?

मिशन के जरिए अंतरिक्ष में रहने लायक उचित माहौल का पता लगाए जाएगा। दूसरे शब्दों में समझे तो लेह में इसरो के इस मिशन के तहत धरती पर ही अंतरिक्ष जैसा माहौल दिया जाएगा। इससे अंतरिक्ष यात्री उन चुनौतियों से पहले से ही परिचित हो सकेंगे जिसका सामना उन्हें मंगल या चांद जैसी जगहों पर करना पड़ सकता है।

इस मिशन के दौरान नई तकनीक, रोबोटिक गाड़ियां, हैबिटेट कम्यूनिकेशन, पावर जेनरेशन मोबिलिटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टोरेज की टेस्टिंग होगी। साथ ही यह भी जानने की कोशिश होगी कि विपरित परिस्थितियों में या खतरनाक मौसम में दूसरे ग्रह पर इंसानी व्यवहार कैसे और कितना बदल सकता है।

लद्दाख को क्यों चुना गया?

लद्दाख को इसके बेहद अलग भूविज्ञान के कारण अगस्त में मिशन स्थल के रूप में चुना गया था। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मंगल और चंद्रमा की सतहों जैसा दिखता है। इसके अलावा क्षेत्र की ठंडी, शुष्क जलवायु और समुद्र तल से ऊंचाई ऐसे अंतरिक्ष से जुड़े अभियानों के लिए सटीक वातावरण तैयार करती है। अंतरिक्ष में किसी और ग्रह आदि पर रहने के लिए कैसी तकनीक या रणनीति चाहिए, इसे लेकर भी प्रयोग वैज्ञानिक लद्दाख में कर सकेंगे।

यह पहल भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान और अंतरग्रहीय अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने की परियोजनाओं में मदद करेगी। इसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के उद्देश्य से गगनयान परियोजना भी शामिल है।

एनालॉग मिशन के दौरान इसमें शामिल लोग ऐसे काम को करेंगे जो दूसरे ग्रह पर जीवन जीने जैसा होगा। इसमें नई परिस्थिति में आवास डिजाइन का परीक्षण, संसाधन प्रबंधन अनुसंधान और सदस्यों के लंबे समय तक अलग रहने से उन पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभावों का अध्ययन करना शामिल है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article