दिल्ली: भारत में दूरसंचार विभाग (DoT) जल्दी ही कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) का टेस्ट करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इससे कॉल करने वाले का नाम अब मोबाइल पर प्रदर्शित होगा, भले ही वो नंबर आपके कॉन्टैक्ट लिस्ट में नहीं हो। सामने आई जानकारी के अनुसार परीक्षण के आधार पर DoT इसके बाद CNAP को लागू करने के लिए तकनीकी पहलुओं पर निर्णय लेगा। यह कदम भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा फरवरी में की गई सिफारिशों के बाद उठाया गया है।
CNAP क्या है?
कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन यानी CNAP दरअसल ट्रूकॉलर (Truecaller) की तरह एक सर्विस है जो कॉल करने वाले का नाम आपके मोबाइल स्क्रिन पर दिखाएगी। साल 2022 में ट्राई ने एक परामर्श पत्र जारी किया जिसमें कुछ तरीकों का प्रस्ताव दिया गया था जिसके माध्यम से सुविधा को लागू किया जा सकता है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार एक साल से अधिक समय तक विभिन्न दूरसंचार नेटवर्क के साथ बातचीत करने के बाद उनसे मिली टिप्पणियों, इनपुट और उसके विश्लेषण के आधार पर ट्राई ने एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया जैसे नेटवर्क प्रदाताओं के लिए सिफारिशों को अंतिम रूप दिया है।
ट्राई के अनुसार नेटवर्क प्रदाताओं को CNAP के लिए अपने ग्राहक आवेदन पत्र (सीएएफ) में टेलीफोन ग्राहकों द्वारा दिए गए नाम का उपयोग करना चाहिए। इस सुविधा को ग्राहकों के अनुरोध पर टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दिया जाएगा। आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब यह है कि सिम कार्ड खरीदते समय आप जिस नाम का इस्तेमाल करेंगे वही नाम उस व्यक्ति को दिखाई देगा जिसे आप कॉल कर रहे हैं।
जहां तक किसी बिजनेस के लिए थोक में कनेक्शन खरीदने वालों का सवाल है तो ऐसे ग्राहक आवेदन पत्र पर दिखने वाले नाम की बजाय अपना ‘पसंदीदा नाम’ (ऑफिस, संस्थान आदि के नाम) दिखाने का विकल्प रख सकते हैं। यह नाम या तो कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, जीएसटी परिषद, या सरकार के साथ पंजीकृत अन्य नाम या ट्रेडमार्क हो सकता है।
ट्राई का कहना है कि इन सिफारिशों को स्वीकार किए जाने के बाद भारत सरकार नेटवर्क ऑपरेटरों को एक निश्चित कट-ऑफ तारीख के बाद देश में बेचे जाने वाले सभी डिवाइस पर सीएनएपी उपलब्ध कराने के निर्देश जारी करेगी। बता दें कि अभी इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
CNAP से क्या ग्राहकों की प्राइवेसी को खतरा है?
ट्राई ने जब पिछले साल की शुरुआत में सीएनएपी का प्रस्ताव रखा तो सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई)0 ने गोपनीयता संबंधी चिंताएं उठाईं थी और कहा कि इस सुविधा से ग्राहकों के डेटा की गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है। ऐसा इसलिए कि मोबाइल उपकरणों के निर्माता और ओएस प्रदाता पूरे देश के लिए ग्राहक डेटा एकत्र करेंगे।
रिलायंस जियो ने भी यह कहा कि कॉल के समय फोन करने वाले का नाम प्रदर्शित करने से ‘कुछ सामाजिक और आपराधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं’। कंपनी के अनुसार ग्राहक से पूछा जाना चाहिए कि क्या वे अपने डिवाइस पर सीएनएपी चाहते हैं। भारती एयरटेल ने भी इसी तरह की बात कहते हुए बताया कि सीएनएपी को शुरू करते समय उपयोगकर्ता की गोपनीयता को ध्यान में रखना होगा। एयरटेल के अनुसार यह प्रणाली शुरू में टेलीमार्केटर्स और वाणिज्यिक उपयोगकर्ताओं तक ही सीमित होनी चाहिए। वहीं, वोडाफोन आइडिया के अनुसार सीएनएपी लगातार बढ़ते स्पैम कॉल से निपटने में एक कदम होगा, लेकिन यह सुविधा गोपनीयता की चिंता भी पैदा करेगा।
ट्रूकॉलर से सीएनएपी कैसे अलग है?
ट्रूकॉलर (Truecaller) जैसी सेवा दरअसल लोगों द्वारा दी जाने वाली जानकारी पर आधारित होती हैं। ऐसे में यह जरूरी नहीं कि वो सटीक या सही हो। दूसरी ओर सीएनएपी डेटाबेस ग्राहक आवेदन पत्र (सीएएफ) से प्राप्त जानकारी पर आधारित होगा, जिसे सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान प्रमाणों का उपयोग करके सत्यापित किया जाता है। ऐसे में इस मामले में मिलने वाली जानकारी ज्यादा सटीक साबित हो सकती है।