नई दिल्ली: पिछले कुछ महीनों से भारत में तेजी से साइबर क्राइम बढ़ रहा है और इस बार जालसाजी यहां विदेशी धरती से हो रहा है। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से भारत को टारगेट कर यहां पर बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है। यह ठगी इतनी बड़ी है कि इसने भारत में जालसाजी के गढ़ कहे जाने वाले जामताड़ा और मेवात को भी पीछे छोड़ दिया है।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ महीने में भारत में जितनी धोखाधड़ी हुई है, उनमें से लगभग आधा फ्रॉड दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से किया गया है। इन फ्रॉडों में निवेश, व्यापार, डिजिटल गिरफ्तारी और डेटिंग घोटाले भी शामिल हैं।
राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में एक लाख से अधिक निवेश घोटाले और साइबर अपराध से संबंधित 10 हजार एफआईआर दर्ज कराए गए हैं। यही नहीं साइबर क्राइम को अंजाम देने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के एजेंट भारत में बडे़ पैमाने पर दक्षिण भारत से स्कैमरों की भर्ती भी कर रहे हैं।
संगठित अपराध नेटवर्क कर रहा है भारत को टारगेट
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के सीईओ राजेश कुमार ने कहा है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देश जैसे कंबोडिया, म्यांमार और लाओस पीडीआर संगठित तरीके से भारत को टारगेट कर रहे हैं।
कुमार के अनुसार, संगठित अपराध नेटवर्क के जरिए इस स्कैम को कई समूहों द्वारा चलाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ये समूह अवैध एजेंटों के जरिए भारत में नौकरी की तलाश कर रहे नौजवानों को अपने जाल में फंसाकर अपने यहां भर्ती कर रहे हैं।
समूह में शामिल भारतीयों को देश के लोगों को निशाना बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दावा यह भी है कि इन समूहों में शामिल कई लोग पूर्व में कैसीनों भी चलाते थे। इस समूह में चीन से जुड़े लोगों के भी शामिल होने का शक है। यही नहीं धोखाधड़ी से जुड़े कुछ चीनी भाषी एप्स के भी इस्तेमाल होने की बात सामने आई है।
दक्षिण भारत से स्कैमरों की हो रही है भर्ती
जालसाज एजेंट द्वारा भारत में नौकरी की तलाश कर रहे भारतीयों को विदेश में अच्छी नौकरी का झांसा देकर उन्हें दक्षिण पूर्व एशिया ले जाया जा रहा है। इसके बाद उन्हें स्कैम में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जालसाज एजेंट आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और दिल्ली जैसे राज्यों से अवैध भर्तियां कर रहे हैं और उन्हें दक्षिण पूर्व एशिया भेज रहे हैं।
कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में स्थित भारतीय दूतावास सक्रिय रूप से पीड़ितों के लिए काम कर रहा है। अब तक 360 पीड़ित भारत वापस लौट चुके हैं और 60 लोगों को देश भेजने की प्रक्रिया जारी है।
इसी साल मई में विशाखापत्तनम साइबर क्राइम पुलिस ने तीन एजेंटों को गिरफ्तार किया है। कुछ गिरफ्तारियां ओडिशा से भी हुई हैं। इन पर भारतीयों को इस स्कैम में शामिल होने के लिए विदेश भेजने का आरोप है।
812 करोड़ से भी ज्यादा फ्रॉड होने से बचाया गया
देश में बढ़ रहे साइबर अपराध के बीच भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने अहम रोल अदा किया है। समन्वय केंद्र ने 812.7 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी होने से रोका है। इस साल छह लाख से भी ज्यादा शिकायतें आई हैं, जिसमें 7,061 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की बात कही गई है।
यही नहीं जुलाई 2023 से लेकर अभी तक कानून प्रवर्तन की मदद से 3.2 लाख खच्चर बैंक खाते फ्रीज किए गए हैं और तीन हजार से ज्यादा यूआरएल और 595 एप्स को ब्लॉक किया गया है।
इसके अलावा 5.3 लाख सिम कार्ड और 80 हजार आईएमईआई (IMEI) नंबर को भी निलंबित किया गया है। साइबर क्राइम पर अंकुश लगाते हुए पिछले दो महीनों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से गैरकानूनी सामग्री के 3,401 मामले हटाए गए हैं।
घोटालों में उछाल
इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल तक दक्षिण पूर्व एशिया से भारत में होने वाले स्कैम में भारी नुकसान हुआ है। इस नुकसान में सबसे ज्यादा निवेश वाला स्कैम शामिल है।
निवेश घोटाले: 1,420 करोड़ रुपए (62,587 मामले)
ट्रेडिंग घोटाले: 222 करोड़ रुपए (20,043 मामले)
डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले: 120 करोड़ रुपए (4,600 मामले)
डेटिंग घोटाले: 13 करोड़ रुपए (1,725 मामले)
सरकार ने क्या उठाया कदम
भारत में बढ़ रहे इन स्कैमों को देखते हुए सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है। इस समिति में विभिन्न कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियां शामिल हैं। इस समिति के जरिए संगठित तरीके से इस अपराध को रोकने पर काम किया जा रहा है।