नई दिल्ली: इन दिनों स्कैमर्स भी काफी चालाक हो गए हैं। पहले तो सिर्फ नकली कॉल और फर्जी वेबसाइट बनाते से स्कैम की ख़बरें आती थी। लेकिन अब ठग एक नया तरीका अपना रहे हैं, जिसमें वे एक सीधी-सादी दिखने वाली फोटो का इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में ऐसा एक मामला हैदराबाद से सामने आया है जहां पर ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों ने एक शख्स के फोन पर फोटो भेजकर उसकी पहचान करने को कहा। जैसे ही शख्स ने उस फोटो को फोन में डाउनलोड किया, उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उसके अकाउंट से Rs 2 लाख से ज्यादा की रकम चोरी की जा चुकी थी।

वॉट्सऐप के जरिए स्कैम 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदीप जैन (28) को सुबह के वक्त एक अनजान नम्बर से व्हाट्सऐप कॉल आने लगी। कुछ ही मिनट बाद उसी नम्बर से एक मैसेज उसे रिसीव हुआ। मैसेज में एक बुजुर्ग व्यक्ति का फोटो लगा था। प्रदीप जैन से कॉल करने वाले ने पूछा, 'क्या आप इसे जानते हो?' पहले तो शख्स ने इस मैसेज को इग्नोर किया। लेकिन उसके बाद फिर उनके व्हाट्सऐप पर कॉल पर कॉल आने लगी। आखिर में हारकर प्रदीप जैन ने वो फोटो अपने फोन में डाउनलोड करके देखा। बस इतना करना था कि हैकर्स को प्रदीप के फोन का एक्सेस मिल गया। 

कुछ ही मिनटों में उनके अकाउंट से Rs 2 लाख 10 हजार की रकम उड़ गई। यह रकम हैदराबाद के एटीएम से निकाली गई थी। जब केनरा बैंक ने प्रदीप को फोन कर इसकी जानकारी दी तो हैकर्स ने उनकी आवाज में बैंक से भी बात कर ली! इसे लीस्ट सिग्निफिकेंट बिट (LSB) स्टेग्नोग्राफी स्कैम कहा जाता है।

फोटो भेजकर करते हैं स्कैम  

यह नया स्कैम लोगों को ऐसी फोटो भेजकर फंसाता है जिसके अंदर वायरस छिपा होता है। ये फोटो अक्सर व्हाट्सऐप जैसे मैसेजिंग ऐप के जरिए भेजी जाती हैं। हैकर्स एक खास तकनीक (स्टेग्नोग्राफी) का इस्तेमाल करते हैं, जिससे वे फोटो फाइल के अंदर खराब कोड डाल देते हैं। जब कोई उस फोटो को डाउनलोड करता है या खोलता है, तो वह वायरस चुपचाप अपने आप इंस्टॉल हो जाता है। इंस्टॉल होने के बाद यह वायरस कई खतरनाक काम कर सकता है, जैसे कि यह वायरस बैंक डिटेल्स, लॉगिन आईडी, वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) और पासवर्ड चुरा सकता है। यह स्कैमर्स को आपके फोन या कंप्यूटर का कंट्रोल दे सकता है, जिससे वे आपकी जरूरी जानकारी और पैसे चुरा सकते हैं। स्कैमर्स आपको सीधे कॉल करके उस खराब फाइल को डाउनलोड करने के लिए कह सकते हैं ताकि वे आपके डिवाइस को कंट्रोल कर सकें। 

साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 

एंटी वायरस वेबसाइट कैस्परस्की के अनुसार, स्टेग्नोग्राफी किसी दूसरे मैसेज या भौतिक वस्तु के भीतर जानकारी छिपाने का तरीका है ताकि उसका पता न चल सके। इसका इस्तेमाल टेक्स्ट, इमेज, वीडियो या ऑडियो सहित कई तरह की डिजिटल सामग्री को छिपाने के लिए किया जा सकता है। छिपे हुए डेटा को बाद में उसके गंतव्य स्थान पर निकाला जा सकता है। स्कैमर्स लिंक पीड़ित के स्मार्टफोन पर हानिकारक एप्लिकेशन डाउनलोड करवाते हैं, जिससे OTP तक पहुंच मिल जाती है और अकाउंट में सेंध लग जाती है।

व्हाट्सऐप के इस नए स्कैम से बचने के लिए अनजान नंबर से आए अनजान फोटो, वीडियो या वॉयस नोट को डाउनलोड न करें। अगर किसी इमेज या वीडियो का साइज असामान्य रूप से बड़ा लगे, तो उसे डाउनलोड करने से बचें, क्योंकि इसमें हानिकारक एप्लिकेशन के लिंक हो सकते हैं। अपने व्हाट्सऐप नंबर को अपने बैंक खाते से लिंक न करें। ऐसी किसी भी घटना की सूचना साइबर क्राइम पोर्टल पर दें या साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।